दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections) में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय (Triangular Contest) होगा। कांग्रेस (Congress) अकेले मैदान में हैं। भाजपा (BJP) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) अकेले ही दम ठोक रही है। आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवारों (Candidates) के नाम का ऐलान कर दिया है। भाजपा ने भी अपने पूर्व सांसदों को चुनाव मैदान में लाने के संकेत दे दिए हैं। जिसमें प्रवेश वर्मा और डॉक्टर हर्षवर्धन शामिल है। दिल्ली भाजपा कल तक अपनी पहली उम्मीदवारों की सूची जारी कर देगी। दिल्ली कांग्रेस ने भी अपनी दूसरी सूची उम्मीदवारों की जारी कर दी है।
दिल्ली में वर्ष 2015 से आम आदमी पार्टी की सरकार है। इससे पहले 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से दिल्ली की सत्ता छीनी थी। लगातार 10 साल की एंटी इनकंबेंसी के बाद केजरीवाल को सत्ता बचाए रखना की सबसे बड़ी चुनौती है।
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कांग्रेस और आप में लड़ाई
दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का वोट बैंक एक ही है। दोनों ही पार्टियां मुस्लिम वोटों को अपना मानती हैं। जबकि भाजपा का वोट बैंक अलग है। असल में असली लड़ाई कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है।
मौका-मौका हर बार धोखा, कांग्रेस का केजरीवाल पर निशाना
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर हमले तेज कर दिया है। दिल्ली कांग्रेस ने एक बुकलेट जारी की है जिसमें आम आदमी पार्टी और भाजपा पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाया है। दिल्ली कांग्रेस ने कहा है कि पिछले 11 साल से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को बड़ी उम्मीद के साथ चुना था लेकिन आज 11 साल बाद दिल्ली की जनता को लग रहा है कि वादों के अलावा उन्हें सिर्फ धोखा ही मिला है। जबकि दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 15 साल तक सत्ता में रही तो उसने विकास, प्रदूषण, महिलाओं के सम्मान, बुजुर्गों को पेंशन, गरीबों को राशन कार्ड और सिलेंडर देने जैसे नए-नए आयाम गढ़े।
मुकाबला त्रिकोणीय हुआ तो भाजपा को होगा फायदा
दिल्ली विधानसभा के नतीजे की चर्चा करें भाजपा ने 2015 में 32.8 फीसदी वोट शेयर लिया था। जबकि आम आदमी पार्टी को एकतरफा जीत मिली थी 2020 में पार्टी ने न सिर्फ पिछले चुनाव में मिला वोट शेयर अपने पास रखा और भाजपा वोट शेयर और सीट बढ़ाने में भी सफल रही ऐसे में अगर मुकाबला बहुकोणीय हुआ तो भाजपा को भी इसका लाभ मिल सकता है। (Delhi Politics)
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