कोरोना की दूसरी लहर का कहर देश के ज्यादातर हिस्सों में जारी है। इस स्थिति में अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और जीवन रक्षक दवाओं का भारी अभाव है। कई मरीज ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र का एक आदिवासी जिला नंदुरबार आदर्श पेश कर रहा है। यहां स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है और अस्पतालों में मरीजों को हर तरह की सुविधाएं और दवाएं उपलब्ध हैं। इसका श्रेय यहां के डीएम डॉ. राजेंद्र भरुड़ को दिया जा रहा है।
डॉ. भरुड़ को कोरोना की दूसरी लहर का भान काफी पहले ही हो गया था और उन्होंने इसके लिए दिसंबर 2020 से ही सिस्टम खड़ा करना शुरू कर दिया था। इस सिस्टम का नाम नंदुरबार मॉडल दिया गया । आज यह मॉडल काफी सफल माना जा रहा है और सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, देश भर में इसकी चर्चा है।
क्या है नंदुरबार मॉडल?
इस मॉडल के तहत डीएम ने कई महत्वपूर्ण काम कराए, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जिले में दो ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र लगाया जाना है। इसके साथ ही ऑक्सीजन सिलिंडरों के बेहतर उपयोग के लिए हर छोटे-बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन नर्स की तैनाती की गई ।
मॉडल पूरे महाराष्ट्र में लागू
बता दें कि नंदुरबार मॉडल की सफलता के बाद पिछले हफ्ते इसे पूरे महारष्ट्र में लागू किया गया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि ऑक्सीजन नर्सों की नियुक्ति से ऑक्सीडन सिलिंडर का उपयोग सही तरीके से हो रहा है।
आने वाले संकट को समझकर उठाया कदम
इस बारे में जिला कलेक्टर डॉ. राजेंद्र भरुड़ ने बताया कि संकट को समझकर प्रशासन ने 50 बेड पर एक ऑक्सीजन नर्स को नियुक्त किया है। उसका काम प्रत्येक मरीज की ऑक्सीजन की जांच करना है।
ऑक्सीजन नर्स की ये है ड्यूटी
- नर्स यह देखती है कि सभी जरुरतमंदों को ऑक्सीजन मास्क पहनाया गया है नहीं। यदि कोई मरीज अपना ऑक्सीजन मास्क निकालता है, तो नर्स उसे पहनने को कहती है।
- अगर मरीज के ऑक्सीजन स्तर में सुधार है और उसका ऑक्सीजन लेवल बढ़ रहा है तो नर्स सिलिंडर से ऑक्सीजन के प्रवाह को कम कर देती है।
- अगर किसी मरीज के ऑक्सीजन का स्तर कम हो रहा है तो वे जरुरत के अनुसार उसका ऑक्सीजन प्रवाह को वह बढ़ा देती है।
- इससे ऑक्सीजन के प्रबंधन में काफी फायदा हो रहा है और ऑक्सीजन का बेहतर ढंग से उपयोग हो रहा है।