पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। राज्यपाल ने प्रदेश के नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में शामिल तृणमूल कांग्रेस पार्टी के चार वरिष्ठ नेताओं तथा पूर्व मंत्रियो के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो( सीबीआई) ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से इस मामले में फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चटर्जी पर मुकदमा चलाने की अनुमित मांगी थी। ये सभी उस समय मंत्री थे, जब स्टिंग ऑपरेशन का मामला उजागर हुआ था।
राज्यपाल के कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति में इस बारे में जानकारी दी गई। विज्ञप्ति में कहा गया कि मीडिया रिपोर्टस पर गौर करने के बाद प्रदेश के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री रहे इन लोगों के संबंध में अभियोजन के लिए मंजूरी दे दी है। राज्यपाल ने फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चटर्जी के संबंध में अभियोजन के लिए मंजूरी दी है। जिन दिनों ये अपराध हुआ था, उस समय ये सभी बंगाल सरकार में मंत्री थे। विज्ञप्ति में ये भी कहा गया है कि इन चार नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगते समय सीबीआई द्वारा मामले से संबंधित दस्तावेज राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किए गए।
संविधान के 163 व 164 आर्टिकल के तहत मंजूरी
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने संविधान के 163 और 164 आर्टिकल के तहत अधिकार का प्रयोग करते हुए ये अनुमति दी है। संविधान के आर्टिकल 163 और 164 के तहत राज्यपाल को इस तरह का अधिकार प्राप्त है। इन आर्टिकल्स के तहत राज्यपाल कानून के संदर्भ में मंजूरी प्रदान के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं, क्योंकि वे संविधान के 164 के संदर्भ में मंत्रियों को नियुक्त करते हैं। 163 के तहत कुछ विषयों में राज्यपाल के विवेकानुसार किया गया कार्य ही अंतिम होगा और उस पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकेगा।
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आरोपियों की वर्तमान स्थिति
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में हकीम, मुखर्जी और मित्रा एक बार फिर टीएमसी के विधायक चुने गए हैं, जबकि भाजपा में शामिल होने के लिए टीएमसी छोड़ चुके चटर्जी दोनों ही पार्टी से संबंध तोड़ चुके हैं।
नारद स्टिंग ऑपरेशन
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारद स्टिंग टेप सार्वजनिक किया गया था। इसमें दावा किया गया था कि यह टेप वर्ष 2014 में रिकॉर्ड किया गया था। इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को कथित रुप से एक फर्जी कंपनी के प्रतिनिधियों से कैश लेते दिखाया गया था। स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारद न्यूज पोर्टल के पत्रकार मैथ्यू सैमुअल ने किया था। कलकता उच्च न्यायालय ने मार्च 2017 में स्टिंग ऑपरेशन मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
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शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय के भी नाम शामिल
जिनके नाम नारद स्टिंग मामले में आरोपितों की सूची में शामिल हैं, उनमें शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय भी शामिल हैं, जो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के नेता हैंं। इसके साथ ही अधिकारी प्रदेश के विपक्षी दल के नेता हैं। हालांकि इनके नाम अनुमोदन सूची में शामिल नहीं हैं।
सीबीआई ने दी दलील
सीबीआई ने कहा है कि जिस समय यह मामला उजागर हुआ था, उस समय ये सांसद थे, इसलिए इनके मामले में लोकसभा अध्यक्ष मंजूरी देंगे। इसके साथ ही सीबीआई ने यह भी कहा है कि इस मामले में आरोपित छह सांसदों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए काफी समय पहले ही लोकसभा अध्यक्ष से अनुमति मांगी गई थी, लेकिन अभी तक वह अनुमोदन नहीं आया है।
आरोपियों में इनके नाम भी शामिल
वीडियो में नजर आ रहे नेताओं में मुकल रॉय, सुब्रत मुखर्जी, सुल्तान अहमद, शुभेंदु अधिकारी, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, शोभन चटर्जी, मदन मित्रा, इकबाल अहमद और फिरहाद हकीम शामिल थे। इनके आलावा वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एस.एम.एच, अहमद मिर्जा को भी पैसे लेते दिखाया गया था। तृणमूल कांग्रेस के एक दर्जन सांसदों, नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात कर उनको काम कराने के लिए फर्जी कंपनी द्वारा ये पैसे दिए गए थे।
विपक्ष ने बनाया था चुनावी मुद्दा
विपक्ष ने 2016 के चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। इसके बावजूद टीएमसी को बड़ी जीत मिली थी। उसे कुल 211 सीटों पर जीत प्राप्त हुई थी। फोरेंसिक जांच में वह वीडियो सही पाया गया था। उसके बाद अप्रैल 2017 में सीबीआई ने न्यायालय के आदेश पर एक एफआईआर दर्ज की थी। इस एफआईआर में टीएमसी के 13 नेताओं के नाम थे। उनमें से कई से पूछताछ भी की गई थी।
न्यायालय ने दिया था सीबीआई जांच का आदेश
पत्रकार मैथ्यु सैम्युअल ने 2014 में स्टिंग ऑपरेशन किया गया था। बाद में इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था और कई नेताओं की गिरफ्तारी भी हुई थी। मामला जब कलकता उच्च न्यायालय पहुंचा तो जांच सीबीआई के हाथ में आ गया।
मैथ्यू को न्यायाल से मिली थी राहत
दूसरी ओर वीडियो को फर्जी करार देते हुए ममता सरकार ने उल्टा मैथ्यू के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था। इसके बाद उसे पूछताछ के लिए समन भी भेजा गया था लेकिन कलकता उच्च न्यायालय से उसे राहत मिल गई थी।