नीति आयोग और मास्टरकार्ड ने 11 मई को ‘कनेक्टेड कॉमर्स’ शीर्षक नाम से एक रिपोर्ट जारी की। इससे डिजिटल भारत के लिए रोडमैप बनाने में मदद मिलेगी। यह रिपोर्ट भारत में डिजिटल वित्तीय समावेशन की राह में चुनौतियों की पहचान करती है। साथ ही 1.3 अरब नागरिकों तक डिजिटल सेवा की पहुंच बढ़ाने की दिशा में जरूरी सिफारिशें देती है।
इस रिपोर्ट को नीति आयोग के वाइस चेयरमैन डॉ. राजीव कुमार, सीईओ अमिताभ कांत, अर्थशास्त्र और वित्त सेल के प्रमुख और विशेषज्ञ, अजीत पाई तथा मास्टरकार्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और ग्रुप हेड, ग्लोबल कम्युनिटी रिलेशंस, रवि अरोरा द्वारा जारी किया गया है।
अक्टूबर और नवंबर 2020 में आयोजित पांच गोलमेज सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श के आधार इस रिपोर्ट में प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें कृषि, छोटे व्यवसाय (एमएसएमई), अरबन मोबिलिटी और साइबर सुरक्षा के लिए क्षमता निर्माण पर दी गई सिफारिशें शामिल हैं।
नॉलेज पार्टनर था नीति आयोग
नीति आयोग इस परिचर्चा में नॉलेज पार्टनर के रूप में भागीदार था। कार्यशालाओं की श्रृंखला और परिणाम रिपोर्ट व्यापार सलाहकार फर्म एफटीआई कंस्लटिंग द्वारा क्यूरेट की गई थी। यह रिपोर्ट गोलमेज सम्मेलन के दौरान हुई चर्चाओं को दर्शाती है।
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नीति आयोग के वाइस चेयरमैन
अपनी शुरुआती टिप्पणी में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन डॉ. राजीव कुमार ने कहा था, “प्रौद्योगिकी परिवर्तनकारी रही है, जिससे वित्तीय सेवाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना आसान हुआ है। भारत में वित्तीय सेवाओं का डिजिटलीकरण तेजी से बढ़ा रहा है। इसके चलते उपभोक्ता नकदी की जगह कार्ड, वॉलेट, ऐप और यूपीआई का इस्तेमाल तेजी से कर रहे हैं। यह रिपोर्ट कुछ प्रमुख सेक्टर और क्षेत्रों पर नजर डालती है, जिससे वित्तीय सेवाओं को सभी तक पहुंचाने के लिए डिजिटल रुकावटों को खत्म करने की आवश्यकता है।”
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इन मुद्दों पर हुई चर्चा
विशेषज्ञों ने अक्टूबर और नवंबर के बीच डिजिटल वित्तीय समावेशन में तेजी लाने के लिए एमएसएमई को वैश्विक अवसरों का लाभ दिलाने में सक्षम बनाने, डिजिटल कॉमर्स को लेकर विश्वास और सुरक्षा बढ़ाने, भारत के कृषि-उद्यमों को कनेक्टेड कॉमर्स के लिए तैयार करने और स्मार्ट सिटी के लिए मजबूत ट्रांजिट सिस्टम का निर्माण करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की।
इन महत्वूपर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया:
- भारतीय समाज के पिछड़े वर्गों के लिए डिजिटल वित्तीय समावेशन में तेजी लाना।
- एसएमई को ‘भुगतान प्राप्त करने, पूंजी प्राप्त करने और डिजिटल बनने में सक्षम बनाना’ और ग्राहकों तक पहुंच बनाने के लिए निरंतर लचीलापन सुनिश्चित करना।
- विश्वास को बढ़ावा देने और साइबर लचीलापन बढ़ाने के लिए नीति और तकनीकी में हस्तक्षेप करना।
- भारत के कृषि क्षेत्र में डिजिटलीकरण का वादा पूरा करना।
- सभी नागरिकों के लिए सुलभ डिजिटल रोडमैप तैयार करना।