पुणेः कोरोना के बाद अब म्यूकोरमाइकोसिस का खतरा! जानिये क्या कहते हैं डॉक्टर्स

कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस का इन्फेक्शन देखा जा रहा है। पुणे और पिंपरी चिंचवड़ शहर में भी ऐसे कई मरीज रोज सामने आ रहे हैं, जिनमें यह बीमारी देखी जा रही है।

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कोरोना के बाद अब म्यूकोरमाइकोसिस(ब्लैक फंगस) कमजोर इम्यूनिटी वालों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस का इन्फेक्शन देखा जा रहा है। पुणे और पिंपरी चिंचवड़ शहर में भी ऐसे कई मरीज रोज सामने आ रहे हैं, जिनमें यह बीमारी देखी जा रही है।

पिछले कुछ दिनों में पिंपरी चिंचवड़ शहर के वाईसीएम अस्पताल में ऐसे 20 से 25 मरीज भर्ती हुए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह बहुत रेयर इन्फेक्शन है, लेकिन अभी इसके मामले पहले की तुलना में बढ़ गए हैं।

नाक से शुरू होकर दिमाग तक पहुंच सकता है इंफेक्शन
नाक से शुरू होने वाला यह फंगल इन्फेक्शन आंख और दिमाग तक पहुंच जाता है तथा कई बार जानलेवा भी साबित हो रहा है। डॉक्टर इसके बढ़ने की वजह स्टेरॉइड्स के बहुत ज्यादा इस्तेमाल को भी मान रहे हैं। यह कोई नया नहीं, बल्कि पुराना और रेयर इन्फेक्शन है। पहले 6 महीनों में कभी एक या दो मरीज दिखते थे, लेकिन अभी ज्यादा आ रहे हैं।

स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल खतरनाक
फिलहाल कोरोना के मामले बहुत देखे जा रहे हैं। इसके इलाज में स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल हो रहा है। बहुत से मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। ऐसे में जो मरीज पहले से डायबिटीज के शिकार हैं, उन्हें स्टेरॉइड्स देने से उनकी इम्यूनिटी और कम हो जाती है। अभी कोरोना के दौरान म्यूकोरमाइकोसिस के केस इसलिए अधिक आ रहे हैं।

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कोरोना के उपचार के दौरान कम हो जाती है इम्यूनिटी
कोरोना के इलाज के दौरान उनकी इम्यूनिटी वैसे भी कमजोर हो जाती है। इसलिए वे म्यूकोरमाइकोसिस के शिकार हो जाते हैं। ऐसी हालात में मरीज को आसानी से यह फंगल इन्फेक्शन हो जाता है। ये संक्रमित व्यक्ति के दिमाग तक पहुंच जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज की मौत का खतरा भी रहता है। वहीं डायबिटिक, कैंसर, ट्रांसप्लांट, एचआईवी के पेशंट और जो लोग स्टेरॉइड्स या ऑक्सिजन पर होते हैं, उनमें इस संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है।

डॉक्टर की सलाह
वाईसीएम अस्पताल के डॉक्टर यशवंत इंगले ने बताया कि इस अस्पताल में अब तक ऐसे 25 से ज्यादा मरीजों पर इलाज किया गया है। इसके साथ ही और भी कई लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं।  इस बीमारी के कारण कई मरीजों ने अपनी आंखें खो दी हैं। उन्होंने कहा कि अगर शुरू में ही इस बीमारी का उपचार किया जाए तो यह आसानी से ठीक हो सकती है।

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