Indian Navy:​ नौसेना को मिली स्वदेशी ‘वाग्शीर’ पनडुब्बी, दुश्मन देशों लिए साबित होगी काल

यह स्कॉर्पीन श्रेणी पर आधारित एक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है, जिसे फ्रांसीसी नौसेना रक्षा और ऊर्जा समूह नेवल ग्रुप ने डिजाइन और मुंबई के शिपयार्ड मझगांव डॉक लिमिटेड ने निर्मित किया है।

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Indian Navy: स्वदेशी रूप से निर्मित प्रोजेक्ट(Indigenously built project) 75 की छठी स्कॉर्पीन श्रेणी(Sixth Scorpene class of 75) की पनडुब्बी आईएनएस वाग्शीर(Submarine INS Vagsheer) 9 जनवरी को भारतीय नौसेना को मिल गई, जिसे 15 जनवरी को भारतीय समुद्री बेड़े(Indian Navy) में शामिल किया जाएगा। मुंबई के शिपयार्ड मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) ने पनडुब्बी की डिलीवरी के साथ इतिहास रच दिया। पनडुब्बी का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक(Cutting edge technology) और भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया'(Make in India) पहल के तहत किया गया है, जिसमें सभी तरह के घातक हमलों के लिए भारी-भरकम सेंसर और हथियार(Heavy sensors and weapons for lethal attacks) लगे हैं।

पहले बैच की छठी और अंतिम पनडुब्बी
आईएनएस वाग्शीर (एस 26) भारतीय नौसेना के लिए छह कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों के पहले बैच की छठी और अंतिम पनडुब्बी है। यह स्कॉर्पीन श्रेणी पर आधारित एक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बी है, जिसे फ्रांसीसी नौसेना रक्षा और ऊर्जा समूह नेवल ग्रुप ने डिजाइन और मुंबई के शिपयार्ड मझगांव डॉक लिमिटेड ने निर्मित किया है। नौसेना को पनडुब्बी की आपूर्ति के दस्तावेज पर एमडीएल के सीएमडी संजीव सिंघल और सीएसओ (तकनीक) रियर एडमिरल आर. अधी श्रीनिवासन ने भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। इस पनडुब्बी की डिलीवरी एमडीएल की व्यावसायिकता, विशेषज्ञता और जटिल युद्ध प्लेटफार्मों के निर्माण में अनुभव का प्रमाण है, जो भारतीय नौसेना की ताकत को काफी हद तक बढ़ाती है।

स्वदेशी रूप से निर्मित पनडुब्बी
स्वदेशी रूप से निर्मित पनडुब्बी की डिलीवरी के साथ एमडीएल ने पी75 परियोजना को पूरा करके देश में एकमात्र शिपयार्ड के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है, जिसके पास पारंपरिक पनडुब्बी का निर्माण करने की सिद्ध क्षमता है। इसमें दुश्मन के राडार से बचने, क्षेत्र की निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने, पानी के अंदर या सतह पर एक ही समय में 18 टारपीडो और ट्यूब-लॉन्च एंटी-शिप मिसाइलों के साथ सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करके दुश्मन पर विनाशकारी हमला करने की क्षमता है। स्टील्थ प्रौद्योगिकी सक्षम कलवरी श्रेणी की यह पनडुब्बी 221 फीट लंबी, 40 फीट ऊंची है। समुद्र की सतह पर इसकी गति 20 किमी प्रति घंटा और नीचे 37 किमी प्रति घंटा है। इसमें 50 दिनों के लिए 350 मीटर पानी के नीचे डूबने की सीमा है।

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रेत मछली के नाम पर आईएनएस वाग्शीर
आईएनएस वाग्शीर का नाम रेत मछली के नाम पर रखा गया है, जो हिंद महासागर में गहरे समुद्र में रहने वाली एक शिकारी मछली है। पनडुब्बी को सभी ऑपरेशन थियेटर में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है और यह नौसेना टास्क फोर्स के अन्य घटकों के साथ अंतर-संचालन योग्य है। पनडुब्बी वाग्शीर का विस्थापन 1,600 टन होगा, जिसमें सभी घातक प्रहार के लिए भारी-भरकम सेंसर और हथियार लगे हैं। इसे एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और विशेष अभियानों सहित कई तरह के मिशनों को अंजाम देने के लिए डिजाइन किया गया है।

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