BPSC Protest: छात्रों को धोखा, नेताओं के लिए मौका

दूसरी ओर अभ्यर्थियों की मांगों को लेकर सियासी पारा भी चढ़ गया है। 

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-अमन दुबे

BPSC Protest: बिहार (Bihar) के पटना (Patna) में पिछले कई दिनों से राजनीति गरमाई हुई है। 70वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा (70th BPSC preliminary exam) रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं और जन सुराज पार्टी (Jan Suraj Party) के प्रमुख प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) उनके समर्थन में उतर आए हैं। बिहार में विपक्ष भी छात्रों के समर्थन में आगे आया है। विपक्ष ने आग में घी डालने का काम किया है।

अभ्यर्थी जब शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, तो विपक्ष ने उन्हें उकसाया और फिर जो हुआ, वो दुनिया ने देखा। अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज तक की नौबत आ गई। वहीं, दूसरी ओर अभ्यर्थियों की मांगों को लेकर सियासी पारा भी चढ़ गया है।

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राजनेता समझ रहे हैं मौका
आंदोलन में राजनेता भी शामिल हो गए हैं और अलग-अलग संस्थानों के शिक्षक भी शामिल हो गए हैं, लेकिन परीक्षा देने वाले छात्रों की राय बिल्कुल अलग है। बीपीएससी ने भी बार-बार कहा है कि परीक्षा आयोजित करने में कोई अनियमितता नहीं हुई है और परीक्षा दोबारा आयोजित नहीं की जा सकती। जिस सेंटर पर हंगामा हुआ, वहां के छात्रों की परीक्षा 4 जनवरी को ली गई थी।

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प्रश्न पत्र वितरण में देरी
गौरतलब है कि 6 दिसंबर 2024 से इस परीक्षा को लेकर विवाद चल रहा है। सितंबर 2024 में 2031 पदों को भरने के लिए आयोजित होने वाली इस परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। परीक्षा देने के लिए 4.83 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था, लेकिन 3.25 लाख आवेदक परीक्षा में शामिल हुए। 2031 पदों में 200 एसडीएम, 136 डीएसपी और अन्य राजपत्रित अधिकारियों के पद शामिल हैं। प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच आयोजित की गई थी, जिसमें सामान्य ज्ञान के 150 प्रश्न थे, लेकिन 13 दिसंबर को छात्रों ने पटना के बापू सभागार में प्रश्न पत्र वितरण में देरी और पेपर लीक होने का आरोप लगाया।

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पटना के बापू परीक्षा परिसर में हंगामा
बापू परीक्षा परिसर में करीब 12000 अभ्यर्थियों के लिए केंद्र बनाया गया था। लेकिन करीब 2500 अभ्यर्थी परीक्षा नहीं दे पाए, जिससे विवाद हो गया। अभ्यर्थियों ने केंद्र के बाहर जमकर हंगामा किया। बापू परीक्षा केंद्र में हंगामे के बीच अतिरिक्त केंद्र अधीक्षक प्रो. राम इकबाल सिंह की तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई।

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प्रदर्शन अभी भी जारी
प्रदर्शनकारी छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए और सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा में अनियमितताएं बरती गई हैं। प्रश्नपत्र में पूछे गए सवाल मानक के अनुरूप नहीं थे। कुछ सवाल निजी कोचिंग संस्थानों के मॉडल प्रश्न पत्रों से मिलते-जुलते थे। छात्रों ने मांग की कि परीक्षा रद्द कर दोबारा परीक्षा ली जाए। यह विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है।

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नेता विरोध में कूद पड़े
अभ्यर्थियों के विरोध प्रदर्शन ने उस समय जोर पकड़ लिया, जब जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने उनका समर्थन किया, वहीं दूसरी ओर विपक्ष का कहना है कि प्रशांत किशोर भाजपा के इशारे पर यह सब कर रहे हैं। इसी विरोध प्रदर्शन में 21 दिसंबर को राजद पार्टी के नेता तेजस्वी यादव उतरे। उन्होंने सबसे पहले वीडियो कॉल पर धरने पर बैठे अभ्यर्थियों से बात की। इसके बाद वे 21 दिसंबर की रात गर्दनीबाग धरना स्थल पर पहुंचे। तेजस्वी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर धरना खत्म कराने की मांग की।

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आमरण अनशन पर प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर हैं। 8 जनवरी को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मेदांता अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। इसके बाद भी उनका अनशन जारी है। 9 जनवरी को प्रशांत किशोर से मिलने बीपीएससी अभ्यर्थी पहुंचे। उन्होंने प्रशांत किशोर से अनशन खत्म करने की अपील की। ​​प्रशांत ने अभ्यर्थियों से कहा कि मांगें पूरी होने तक अनशन जारी रहेगा।

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छात्रों की प्रमुख मांग

  • पूरी पीटी परीक्षा रद्द की जाए
  • अनियमितताओं की उच्चस्तरीय जांच हो
  • अभ्यर्थियों पर दर्ज मामले वापस लिए जाएं
  • लाठीचार्ज में शामिल कर्मियों पर कार्रवाई हो
  • आत्महत्या करने वाले अभ्यर्थी सोनू के परिवार को मुआवजा मिले

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आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
पूरे विवाद पर आयोग के सचिव सह परीक्षा नियंत्रक सत्य प्रकाश शर्मा ने छात्रों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ निष्पक्ष तरीके से हुई। छात्रों से अपील है कि वे मुख्य परीक्षा की तैयारी अभी से शुरू कर दें। अगर किसी छात्र के पास गड़बड़ी का सबूत है तो उसे जमा करें, आरोपियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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सुप्रीम कोर्ट से झटका
बिहार लोक सेवा आयोग के अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। छात्रों की ओर से बिहार पुलिस के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को पटना हाईकोर्ट जाने को कहा है। बता दें कि बीपीएससी 70वीं प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन और सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच ने याचिकाकर्ता को कहा धारा 226 के तहत आप पटना हाईकोर्ट जाएं।

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नीतीश कुमार को कुछ पता नहीं
राजनीतिक जानकारों का मानना ​​है कि यह आंदोलन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए नुकसानदेह होगा, क्योंकि अभी उनका इस ओर ध्यान नहीं है। छात्रों के इस आंदोलन से विपक्ष के साथ-साथ प्रशांत किशोर को भी फायदा होगा। एक तरफ भाजपा नीतीश कुमार से निपटने में जुटी है, बिहार में मिशन लोटस शुरू हो चुका है और नीतीश कुमार को इसकी भनक तक नहीं है। लेकिन क्या वाकई ऐसा होगा या फिर राज्य की नीतीश सरकार इसमें जितनी देरी करेगी, आंदोलन अपने आप उतना ही कमजोर होता जाएगा, इसका जवाब अभी मिलना बाकी है।

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खतरे की घंटी
हालांकि, जानकारों का मानना ​​है कि असली खतरे की घंटी नीतीश सरकार के लिए है, क्योंकि इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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