शिवसेना (Shiv Sena) (उद्धव ठाकरे गुट) नेता संजय राउत (Sanjay Raut) द्वारा आगामी नगर निगम चुनाव (Municipal Corporation Elections) अपने दम पर लड़ने का नारा दिए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों (Political Corridors) में हलचल मच गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के नेता जितेंद्र आव्हाड (Jitendra Awhad) ने इस घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
जितेंद्र आव्हाड ने कहा, “अगर शिवसेना ठाकरे गुट ने अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है, तो हम इसे रोकने वाले कौन होते हैं? हालांकि, यह निर्णय लेते समय चर्चा होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा, “हम सभी महाविकास अघाड़ी में हैं और ऐसे महत्वपूर्ण निर्णयों पर एक-दूसरे से संवाद करना आवश्यक है।”
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कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इस घोषणा पर कांग्रेस की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंधे ने कहा, ‘महाविकास अघाड़ी ने भाजपा के खिलाफ मिलकर लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी पार्टी को आत्मनिर्भरता का नारा देकर भाजपा को अपनी सत्ता नहीं सौंपनी चाहिए।’’
भाजपा की आलोचना
इस बीच, भाजपा ने ठाकरे समूह की कड़ी आलोचना की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, ‘महाविकास अघाड़ी अब भंग हो रही है। उद्धव ठाकरे गुट का एकतरफा कार्रवाई करने का फैसला उनकी असुरक्षा का संकेत है। “महा विकास अघाड़ी में विभाजन भाजपा के प्रभाव का माप है।”
मनसे की भूमिका
मनसे ने इस मामले में ठाकरे समूह की अप्रत्यक्ष रूप से आलोचना की है। मनसे नेता बाला नांदगांवकर ने कहा, अपने दम पर लड़ने का फैसला हर पार्टी का अधिकार है, लेकिन आत्मनिर्भरता का नारा देने के बाद कार्रवाई में कुछ अलग ही नजर आता है। “लोगों ने कई बार अपने दावों को गलत साबित होते देखा है।”
महाविकास अघाड़ी में तनाव?
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संजय राउत की घोषणा ने महाविकास अघाड़ी के भीतर मतभेदों को उजागर कर दिया है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि शिवसेना ठाकरे गुट के अकेले चुनाव लड़ने के फैसले से गठबंधन के भीतर सहयोग और एकता पर सवाल उठ रहे हैं।
ठाकरे गुट का दृढ़ निर्णय
हालांकि, शिवसेना ठाकरे गुट ने आत्मनिर्भरता के नारे को बरकरार रखने का रुख अपनाया है। “नगरपालिका चुनाव स्थानीय स्तर का युद्धक्षेत्र है।” ठाकरे गुट ने कहा है, “यह निर्णय कार्यकर्ताओं के आग्रह पर और मतदाताओं से निकटता बढ़ाने के लिए लिया गया है।”
राजनीतिक संघर्ष तीव्र होने की संभावना
आत्मनिर्भरता की घोषणा से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा टकराव होने की संभावना है। सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि शिवसेना ठाकरे गुट का यह फैसला महाविकास अघाड़ी की एकता बरकरार रख पाएगा या नहीं।
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