Mark Zuckerberg: संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी संसदीय समिति के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने 14 जनवरी को कहा कि उनकी समिति मार्क जुकरबर्ग की ओर से दी गई गलत जानकारी के लिए उनकी कंपनी मेटा को बुलाएगी। दुबे ने एक्स पोस्ट में कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश के बारे में गलत जानकारी रखने से उस देश की छवि धूमिल होती है। इस गलती के लिए संस्था को भारतीय संसद तथा जनता से माफी मांगनी पड़ेगी।
जुकरबर्ग के दावे में दम नहीं
जुकरबर्ग ने एक साक्षात्कार में कहा था कि कोविड-19 के बाद से भारत सहित दुनियाभर में सरकारें बदली हैं। इसी बात का खंडन करते हुए 13 जनवरी को सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि 64 करोड़ मतदाताओं वाले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भारत की जनता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) पर भरोसा जताया है। जुकरबर्ग का यह दावा कि 2024 के चुनावों में भारत सहित अधिकांश मौजूदा सरकारें कोविड के बाद हार गईं, तथ्यात्मक रूप से गलत है।
मेरी कमिटि इस ग़लत जानकारी के लिए @Meta को बुलाएगी । किसी भी लोकतांत्रिक देश की ग़लत जानकारी देश की छवि को धूमिल करती है । इस गलती के लिए भारतीय संसद से तथा यहाँ की जनता से उस संस्था को माफ़ी माँगनी पड़ेगी https://t.co/HulRl1LF4z
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) January 14, 2025
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने कोविड के दौरान 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने और दो अरब से ज्यादा मुफ्त वैक्सीन लगाने का काम किया है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री मोदी के निर्णयों के चलते उनका तीसरा कार्यकाल उनके सुशासन और जनता पर विश्वास का सबूत है। उन्होंने ‘मेटा’ को टैग करते हुए कहा कि स्वयं जुकरबर्ग की ओर से गलत सूचना देना निराशाजनक है। आइए तथ्यों और विश्वसनीयता को कायम रखें।