टोरेस घोटाले (Torres Scam) के बाद मुंबई (Mumbai) में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। पता चला है कि ‘मनी एज ग्रुप ऑफ कंपनीज’ (Money Edge Group of Companies) के चार साझेदारों ने 3,000 निवेशकों (Investors) से 100 करोड़ रुपये की ठगी (Fraud) की है। इस मामले में मुलुंड पुलिस (Mulund Police) ने मनी एज ग्रुप ऑफ कंपनीज और उसके चार साझेदारों के खिलाफ निवेशकों से धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज (Case Registered) किया है।
इस मामले में दो सहयोगियों हरिप्रसाद वेणुगोपाल और प्रणव रावराणे को गिरफ्तार किया गया है। जब दोनों को अदालत में पेश किया गया तो उन्हें 22 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। आगे की कार्रवाई के लिए जांच अब आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी गई है।
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आर्थिक अपराध शाखा के सूत्रों के अनुसार, अनधिकृत पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं के माध्यम से लगभग 3,000 निवेशकों को 24 प्रतिशत वार्षिक रिटर्न का वादा करके फंसाया गया। शिकायत में राजीव जाधव, हरिप्रसाद वेणुगोपाल, प्रणव रावराणे और प्रिया प्रभु तथा अन्य सहयोगियों के नाम शामिल हैं। ये व्यक्ति कथित रूप से अपनी धोखाधड़ी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए कई संस्थाओं – मनी एज इन्वेस्टमेंट, मनी एज फिनकॉर्प, मनी एज रियलटर्स और मनी एज कैपिटल सर्विसेज – के तहत काम करते थे। 2013 में स्थापित, मनी एज ग्रुप ऑफ कंपनीज का मुख्यालय शास्त्री नगर, मुलुंड पश्चिम में है।
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब कांदिवली के व्यवसायी राहुल पोद्दार ने 2022 और 2024 के बीच अपने परिवार और दोस्तों के साथ 2.80 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसे मई 2024 में रिटर्न मिलना बंद हो गया। पोद्दार ने अक्टूबर 2024 में मुलुंड पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। जांच से पता चला है कि हजारों अन्य निवेशकों को भी इसी तरह का नुकसान उठाना पड़ा है।
पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं प्रदान करने के बावजूद, समूह के पास भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से अनिवार्य लाइसेंस नहीं था। इसके बजाय, वे मुद्रा क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और जीवन मल्टीस्टेट मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के समर्थन में काम कर रहे थे।
विवाद और घोटाले उजागर
2024 में कंपनी के भीतर एक आंतरिक विवाद के कारण रिटर्न दाखिल करने पर रोक लग गई, जिससे घोटाला उजागर हो गया। जनवरी 2022 से मई 2024 तक निवेशकों को नियमित रिटर्न मिला, लेकिन मई 2024 के बाद भुगतान बंद हो गया। पोद्दार की शिकायत के बाद एक बड़ी धोखाधड़ी का खुलासा हुआ और जांच शुरू हुई। आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों को संदेह है कि डायवर्ट किए गए फंड को दूसरे उपक्रमों में निवेश किया गया था। हालांकि, दोनों साझेदार, वेणुगोपाल और रावराणे हिरासत में हैं, तथापि और गिरफ्तारियां होने की संभावना है। अधिकारी आरोपियों से संबंधित संपत्ति की पहचान करने और उसे जब्त करने के लिए काम कर रहे हैं। पुलिस उपायुक्त संग्राम सिंह निशानदार के मार्गदर्शन में वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दत्तात्रय बकर और निरीक्षक अर्जुन पडवले यह जांच कर रहे हैं। (Mumbai News)
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