Delhi Assembly Polls: दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections) में पिछले महीने से ही मतदाता सूची में उनके नाम जोड़ने व काटने को लेकर भाजपा (BJP) व आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के बीच जंग जारी है। इसका कारण है की दिल्ली (Delhi) की सत्ता तक पहुंचाने के लिए पूर्वांचली मतदाताओं का साथ चाहिए।
एक तरफ भाजपा ने अरविंद केजरीवाल के बयान को उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगों के अपमान का चुनावी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया। अरविंद केजरीवाल ने भी नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा की शिकायत चुनाव आयोग से की।
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इन विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक स्थिति में पुरबिया मतदाता
राजधानी दिल्ली में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लोग रहते हैं। कुल 70 सीटों में से 27 सीटों पर पुरबिया मतदाता ही चुनाव परिणाम तय करते हैं। यह सीटें हैं कृष्णा नगर, नजफगढ़, अंबेडकर नगर ,कौड़ली ,विश्वास नगर, शाहदरा, गोंडा, संगम विहार, लक्ष्मी नगर, द्वारका, किराड़ी, उत्तम नगर, बुराड़ी, बदरपुर, बादली, नांगलोई, विकासपुरी, पटपड़गंज ,मटियाला, त्रिलोकपुरी ,करावल नगर, पालम ,देवली ,राजेंद्र नगर सीमापुरी ,कुंडली और मादीपुर
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पिछले चुनाव में किसकी तरफ गए पुरबिया वोट
वर्ष 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूर्वांचलियों का 64 फ़ीसदी वोट मिला था और 26 सीटें मिली थी। जबकि भाजपा को 29 फीसदी वोट मिला और उसके हिस्से में एक सीट आई कांग्रेस को चार प्रतिशत वोट मिला और कोई भी सीट नहीं मिली। वर्ष 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूर्वांचलियों को का 55 फीसदी वोट मिला और 23 सीटें मिली जबकि भाजपा को 39 प्रतिशत वोट और चार सीटें मिली कांग्रेस को महज दो प्रतिशत वोट मिला लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। दरअसल अनधिकृत कॉलोनियों में अधिकांश लोग उत्तर प्रदेश व बिहार के हैं। इसलिए दिल्ली में इस बार पुरबियों को रिझाने के लिए कांग्रेस बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है।
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