कोरोना महामारी से जंग में मरीज की इच्छा शक्ति के साथ ही उनके परिजनों द्वारा की जाने वाली देखरेख भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसा ही एक उदाहरण महाराष्ट्र के पाटन तालुका के मल्हारपेठ के कोयना में देखने को मिला है। यहां एक 93 वर्षीय बुजुर्ग कोरोना को मात देने में सफल हुए हैं। अस्पताल में भर्ती करने से इनकार करने के बाद उनका घर पर ही उपचार किया गया।
डॉक्टर ने किया था उपचार से इनकार
महाराष्ट्र के पाटन तालुका के मल्हारपेठ के रहिवासी बाबूराव कृष्णजी सुतार उर्फ अन्ना को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद 5 अप्रैल को अस्पताल ले जाया गया था। उनके गले में खराश की शिकायत थी और बुखार भी था। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टर ने उनके परिजनों को बताया कि इन्हें उपचार से कोई फायदा नहीं होगा। इन्हें घर ले जाओ और वहीं इनकी देखरेख करो। डॉक्टरों ने उनकी उम्र ज्यादा होने का हवाला देते हुए कहा कि इस उम्र में उपचार का कोई लाभ नहीं होगा।
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निराश हो गए थे परिजन
डॉक्टर की बात सुनकर अन्ना के परिजनों में निराशा होने लगी, लेकिन उनके सामने दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था। वे उन्हें घर ले आए और एक डॉक्टर की सलाह पर उनका उपचार शुरू किया। उनका ऑक्सीजन लेवल कम था। घर में ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध होने के कारण परिजनों ने उन्हें ऑक्सीजन मास्क पहनाकर उनकी सांस की परेशानी को दूर करने की कोशिश की। इसके साथ ही उनके खान-पान पर भी विशेष ध्यान देना शुरू किया।
कुछ ही दिनों में अन्ना के स्वास्थ्य में सुधार दिखने लगा और फिर उनके गले का खराश तथा बुखार भी ठीक हो गया।
प्रेरणा के स्रोत
फिलहाल ये 93 वर्षीय दादाजी पूरी तरह स्वस्थ हैं और आसपास के क्षेत्रों में उनके द्वारा कोरोना को मात देने की चर्चा है। वे अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण और प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।
मजबूत इच्छा शक्ति से दी जा सकती है कोरोना से मात
आज कोरोना संक्रमित होने के बारे में जानकारी मिलते ही लोगों में घबराहट होने लगती है। ऐसे लोगों के लिए अन्ना प्रेरणा के स्रोत बन सकते हैं। मजबूत इच्छा शक्ति और सही उपचार तथा देखभाल से कोरोना को मात देना संभव है।