राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) में चल रही गुटबाजी में एक महत्वपूर्ण बदलाव सामने आया है। लोकसभा चुनाव में शरद पवार ( Sharad Pawar) के गुट ने अजित पवार (Ajit Pawar) के गुट को जोरदार झटका दिया था। शरद पवार के गुट ने 8 सीटें जीतीं, जबकि अजित पवार के गुट के खाते में सिर्फ एक सीट आई। साथ ही, सुनेत्रा पवार का पराभव भी एक बड़ी घटना साबित हुआ। विधानसभा चुनाव से पहले शरद पवार के गुट में शामिल होने वालों की एक लहर चल पड़ी थी, लेकिन अब चुनाव के बाद स्थिति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
विधानसभा चुनाव के बाद अजित पवार के गुट के कुछ नेताओं ने शरद पवार के गुट में शामिल होने के संकेत दिए थे, जिनमें कुछ सांसदों के नाम भी लिए जा रहे थे। हालांकि, दोनों पवारों ने इस चर्चा को खारिज कर दिया था। लेकिन अब शरद पवार के गुट के एक प्रमुख विधायक सतीश चव्हाण ने शरद पवार का साथ छोड़ने का निर्णय लिया है। वे अजित पवार के गुट में शामिल होने जा रहे हैं, और उनका यह प्रवेश शिर्डी में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में होगा।
सतीश चव्हाण का प्रवेश
सतीश चव्हाण (Satish Chavan) वर्तमान में विधायक हैं और उन्होंने गंगापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। शरद पवार के गुट में रहते हुए उन्हें अजित पवार ने छह साल के लिए निलंबित कर दिया था। विधानसभा चुनाव में उनका पराभव हुआ था, लेकिन अब वे अजित पवार के गुट में वापस लौटने का फैसला कर चुके हैं। उनका यह निर्णय शरद पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि चव्हाण ने अजित पवार के गुट में शामिल होकर अपनी भविष्यवाणी को नया मोड़ दिया है।
शिर्डी में शनिवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सतीश चव्हाण अजित पवार के गुट में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री अजित पवार की मौजूदगी में उनका पार्टी प्रवेश समारोह होगा। इसके साथ ही, चव्हाण के खिलाफ चल रहे छह साल के निलंबन का फैसला भी वापस लिया जाएगा।
चव्हाण का निर्णय, विदर्भ में अजित पवार का प्रभाव बढ़ाने का संकेत
सतीश चव्हाण के पार्टी प्रवेश से अजित पवार के गुट का विदर्भ में प्रभाव और मजबूत हो सकता है। इस घटनाक्रम से शरद पवार के गुट में आंतरिक विवाद और गुटबाजी का संकेत मिलता है। गंगापुर विधानसभा सीट पहले बीजेपी के पास थी, जहां चव्हाण ने शरद पवार के गुट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार के बाद अब वे अजित पवार के गुट में शामिल हो रहे हैं।
आशा जताई जा रही है कि सतीश चव्हाण के इस फैसले से अजित पवार के नेतृत्व को और मजबूती मिलेगी और विदर्भ में राष्ट्रवादी कांग्रेस की संगठनात्मक ताकत बढ़ेगी। शरद पवार के गुट के लिए यह एक बड़ा धक्का साबित होगा।
अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अजित पवार के गुट में और भी नेताओं का प्रवेश होगा और पार्टी की एकजुटता बढ़ेगी, जबकि शरद पवार के गुट में आंतरिक संघर्ष और गुटबाजी एक बार फिर उभर सकती है।
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