Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) का समय करीब आने के साथ ही राजनीतिक हलचल भी बढ़ गई है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) (राजद) के प्रमुख लालू यादव (Lalu Yadav) ने राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी (Lok Jan Shakti Party) (आरएलजेपी) के प्रमुख पशुपति पारस (Pashupati Paras) से मुलाकात की थी।
इसके बाद अब 19 जनवरी (रविवार) को पशुपति पारस ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर जाकर लालू यादव से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई।
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प्रिंस पासवान के साथ लालू यादव की मुलाकात
राजद सांसद संजय यादव ने कहा कि आरएलजेपी के प्रमुख पशुपति पारस और बिहार प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस पासवान के साथ लालू यादव की मुलाकात हुई है। दरअसल, लालू यादव उनके घर मिलने गए थे और आज पशुपति कुमार उनसे मिलने आए। यह शिष्टाचार मुलाकात थी। संजय ने कहा कि पशुपति पारस महागठबंधन का हिस्सा होंगे या नहीं, यह राष्ट्रीय अध्यक्ष तय करेंगे। साथ ही कहा कि पशुपति पारस एक अनुभवी राजनेता हैं। वह किसी भी गठबंधन के साथ रहें, गठबंधन को फायदा होगा।
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दलित वोटों में बिखराव
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आरएलजेपी यदि महागठबंधन का हिस्सा बनती है तो यह बिहार की कुछ प्रमुख विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है। इनमें जमुई, हाजीपुर, बेगूसराय, वैशाली, मुंगर और खगड़िया जैसी सीटें शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप अगड़ी और दलित वोटों में बिखराव हो सकता है, जिसका फायदा महागठबंधन को मिल सकता है।
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राजद में आरएलजेपी के शामिल
राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस साल हाेने वाले विधानसभा चुनाव में राजद में आरएलजेपी के शामिल हाेने से महागठबंधन काे बहुत हद तक राहत मिलेगी। क्याेंकि, पशुपति पारस मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उनकी पार्टी पहले भी एनडीए का हिस्सा रह चुकी है लेकिन समय-समय पर उनकी नाराजगी सामने आई है। ऐसे में राजद खासकर लालू यादव, पशुपति पारस को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि भूमिहार और दलित वोट बैंक को साधा जा सके।
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