Maharashtra Politics: ऐसा लगता है कि शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस को अलग-थलग कर दिया है।
महा विकास अघाड़ी को लोकसभा में अप्रत्याशित सफलता मिली। महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार 48 लोकसभा सीटों में से 32 पर निर्वाचित हुए। इनमें से 13 कांग्रेस के थे और एक कांग्रेस का बागी था, 14, जबकि 9 शिवसेना और 9 राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनएसपी) के थे।
मुख्यमंत्री पद के लिए भिड़ंत
लोकसभा में सफलता के बाद ‘मविआ’ का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया और यह मानकर कि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में मविआ की सरकार आएगी, वे मुख्यमंत्री पद के लिए जोर आजमाइश करने लगे। उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस पर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश की, जबकि कांग्रेस के भीतर आंतरिक कलह ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया।
‘खरगोश और कछुए’ की कहानी
सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और शिवसेना के बीच एक-एक सीट को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई है। विदर्भ में सीटों को लेकर लड़ाई चली। इसमें ‘खरगोश और कछुआ’ की कहानी चरितार्थ हो गई। कछुए की तरह ही महायुति ने अपने प्रयास तेज किए और सत्ता की दौड़ जीत ली। मविआ का राज्य में सत्ता का सपना टूट गया। अगले कुछ दिनों तक मविआ नेताओं को नतीजों पर यकीन नहीं हुआ। इसके बाद कांग्रेस और शिवसेना नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।
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कांग्रेस की अनुपस्थिति में ठाकरे-पवार की बैठक
दो दिन पहले कांग्रेस की अनुपस्थिति में उद्धव ठाकरे शरद पवार से मिलने उनके ‘सिल्वर ओक’ आवास पर पहुंचे और करीब डेढ़ घंटे तक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। समझा जाता है कि कांग्रेस ने पर यह दबाव बनाने का भी प्रयास किया गया कि विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद शिवसेना उबाठा को मिले। तदनुसार, मंगलवार, 21 जनवरी 2025 को महा विकास अघाड़ी की बैठक में विपक्ष के नेता के पद पर चर्चा की गई। बैठक के बाद नाना पटोले ने कहा कि दो से तीन दिन में उद्धव ठाकरे और शरद पवार से चर्चा के बाद विपक्ष के नेता पद पर फैसला लिया जाएगा।