केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शनिवार (1 फरवरी) को आम बजट (General Budget) पेश किया। बजट में सीतारमण ने घोषणा की है कि 36 जीवन रक्षक दवाओं (36 Life Saving Drugs) से कस्टम ड्यूटी (Customs Duty) हटाई जाएगी, जिससे इन दवाओं (Medicine) की कीमत कम हो सकती है। इन दवाओं का इस्तेमाल कैंसर और दुर्लभ बीमारियों के इलाज में किया जाता है। सरकार के इस फैसले से कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को महंगी दवाओं से राहत मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा सरकार ने 6 अन्य जीवन रक्षक दवाओं को 5 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी की सूची में शामिल करने की घोषणा की है, जिससे इन दवाओं की कीमत भी कम हो सकती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि कैंसर, दुर्लभ बीमारियों और अन्य गंभीर पुरानी बीमारियों से पीड़ित मरीजों को राहत देने के लिए सरकार ने 36 जीवन रक्षक दवाओं से मूल सीमा शुल्क को पूरी तरह से हटाने का फैसला किया है। सरकार ने 6 जीवन रक्षक दवाओं को दवाओं की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, जिन पर 5 प्रतिशत का रियायती सीमा शुल्क लागू होगा। साथ ही इन दवाओं के निर्माण के लिए आवश्यक थोक दवाओं पर पूरी छूट और रियायती शुल्क लागू होगा। इससे गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों पर वित्तीय बोझ कम हो सकेगा।
36 जीवन रक्षक दवाइयां
स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी प्रमुख घोषणाएं
निर्मला सीतारमण ने मेडिकल कॉलेजों में 10,000 अतिरिक्त सीटों के साथ-साथ सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर खोलने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगले साल मेडिकल कॉलेजों में 10,000 अतिरिक्त सीटें जोड़ी जाएंगी और अगले पांच सालों में 75,000 सीटें जोड़ी जाएंगी।
सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर होंगे। 2025-26 में करीब 200 डे केयर कैंसर सेंटर बनाए जाएंगे। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी। सीतारमण के अनुसार, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत गिग वर्कर्स को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
2019 में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले बजट में सरकार ने तीन कैंसर रोधी दवाओं – ट्रैस्टुजुमाब, ओसिमर्टिनिब और डर्वालुमाब पर सीमा शुल्क में छूट दी थी और जीएसटी दरों में कमी की थी। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 2019 में लगभग 12 लाख नए कैंसर के मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गईं – जिससे यह एशिया में बीमारी के बोझ में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया। अध्ययन में बताया गया है कि 2020 में यह संख्या बढ़कर 13.9 लाख हो गई, जो 2021 और 2022 में क्रमशः 14.2 लाख और 14.6 लाख हो गई।
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