बांग्लादेश (Bangladesh) में एक बार फिर अशांति फैलने की आशंका है। खबर है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Former Prime Minister Sheikh Hasina) के ऑनलाइन भाषण (Online Speech) के बाद ढाका (Dhaka) में उपद्रवियों (Rioters) ने शेख मुजीबुर रहमान के आवास पर तोड़फोड़ की। हालांकि, इस संबंध में प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपद्रवियों ने शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) के आवास पर तोड़फोड़ के अलावा आगजनी भी की।
स्थानीय समयानुसार रात 9 बजे हसीना के संबोधन के समय सोशल मीडिया पर “बुलडोजर रैली” का आह्वान किया गया था। हसीना के संबोधन का आयोजन छात्र लीग ने किया था, जो अब अवामी लीग की भंग हो चुकी छात्र शाखा है। अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री ने देशवासियों से मौजूदा शासन के खिलाफ प्रतिरोध संगठित करने का आह्वान किया।
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The last trace of the architect of independent Bangladesh has been burned to ashes today.
Cry, Bangladesh, cry. pic.twitter.com/lj17JJ4IzJ— taslima nasreen (@taslimanasreen) February 5, 2025
हसीना छात्रों को ऑनलाइन संबोधित कर रही थीं
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के लाइव ऑनलाइन संबोधन के दौरान प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने ढाका में उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के आवास पर हंगामा किया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हसीना ने आवामी लीग की अब भंग हो चुकी छात्र शाखा छात्र लीग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया और देशवासियों से मौजूदा शासन का विरोध करने का आह्वान किया।
भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन द्वारा गठित मुहम्मद यूनुस के मौजूदा शासन के बारे में हसीना ने कहा, उनमें अभी भी इतनी ताकत नहीं है कि वे राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और लाखों शहीदों की जान की कीमत पर अर्जित स्वतंत्रता को बुलडोजर से नष्ट कर सकें। उन्होंने आगे कहा, वे एक इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं, लेकिन इतिहास को नहीं… उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि इतिहास अपना बदला लेता है।
5 अगस्त से भारत में रह रही हैं शेख हसीना
इस बीच, गृह सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि अंतरिम सरकार प्रत्यर्पण संधि के तहत हसीना और अन्य को भारत से वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। 77 वर्षीय हसीना 5 अगस्त से भारत में रह रही हैं, जब वह छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश से भाग गई थीं।
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