Delhi Assembly Results: मुख्यमंत्री पद की दौड़ में यह नेता सबसे आगे, यहां जानें क्यों

लोकसभा के पूर्व सदस्य वर्मा ने आप समर्थकों को चौंका दिया, क्योंकि केजरीवाल पार्टी का मुख्य चेहरा थे। वर्मा ने बेहद कड़े मुकाबले में केजरीवाल को 3,000 से अधिक वोटों से धूल चटा दी।

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Delhi Assembly Results: नई दिल्ली सीट (New Delhi seat) से आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को हराकर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) (भाजपा) के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा (Pravesh Verma) एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं।

लोकसभा के पूर्व सदस्य वर्मा ने आप समर्थकों को चौंका दिया, क्योंकि केजरीवाल पार्टी का मुख्य चेहरा थे। वर्मा ने बेहद कड़े मुकाबले में केजरीवाल को 3,000 से अधिक वोटों से धूल चटा दी।

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मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार?
चुनावी रणनीति के तहत भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की, जिसकी आप ने कड़ी आलोचना की। केजरीवाल की पार्टी ने भाजपा का मजाक उड़ाते हुए कहा कि ‘बिना दूल्हे की बारात’। लेकिन, भाजपा के शानदार नतीजों से यह साफ है कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा न करने की रणनीति दिल्ली विधानसभा चुनाव में कारगर रही। अब, इस बात की जोरदार चर्चा है कि वर्मा मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं, क्योंकि वह पार्टी के लिए चुनाव अभियान का नेतृत्व करने वाले शीर्ष स्थानीय नेताओं में से एक थे।

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भाजपा उन्हें सीएम पद के लिए क्यों चुन सकती है, इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:

  • जाइंट किलर: वर्मा ने उस व्यक्ति को हराया जो भाजपा के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वियों में से एक था। प्रतिद्वंद्वी पार्टी के मुख्य चेहरे को हराकर उन्होंने अपनी योग्यता साबित की।
  • जाट कारक: भाजपा ने जाट वोटों को निशाना बनाया क्योंकि आप लगातार भाजपा पर समुदाय की अनदेखी करने का आरोप लगा रही थी। हालांकि नई दिल्ली जाट बहुल सीट नहीं है, लेकिन भगवा पार्टी ने राष्ट्रीय राजधानी की सबसे प्रतिष्ठित सीट पर जाट नेता वर्मा को मैदान में उतारा। शीर्ष नेतृत्व वर्मा को सीएम पद के लिए चुन सकता है क्योंकि दिल्ली में कम से कम 10 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां जाट समुदाय का वर्चस्व है। इस बार भाजपा आप के जाट वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रही।
  • हिंदू गोलबंदी: वर्मा हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों, खासकर मुस्लिम तुष्टिकरण और दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे मुस्लिम बांग्लादेशियों के मुद्दे पर मुखर रहे हैं। वह भाजपा के सबसे बड़े हिंदुत्व चेहरों में से एक हैं।
  • दिल्ली चुनाव पर ध्यान केंद्रित: वर्मा को 2025 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने पार्टी के फैसले को खुशी-खुशी स्वीकार किया और दिल्ली चुनाव पर ध्यान केंद्रित किया।
  • आप के खिलाफ सबसे बड़ा चुनौती: वर्मा ने ‘शीश महल’ विवाद पर केजरीवाल के खिलाफ हमले का नेतृत्व किया। वह इस मुद्दे को सार्वजनिक डोमेन में ले जाने में सफल रहे।
  • पूर्व सीएम के बेटे: वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, जो उनके पक्ष में भी जाता है। पार्टी में अपने पिता की जड़ों के कारण वह सभी वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ बहुत अच्छे संबंध रखते हैं।

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