वाट्सएप अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर अड़ गई है। मेसेजिंग एप ने इस पॉलिसी को लेकर यूजर्स को मोहलत न देने की घोषणा की है। 17 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय में कंपनी ने कहा कि उसकी ओर से यूजर्स से नई प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार करने के बारे में पूछा जा रहा है।
कंपनी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि उसकी ओर से यूजर्स से प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार करने के लिए कहा जा रहा है। जो यूजर्स इस पॉलिसी को स्वीकार नहीं करेंगे, उनके अकाउंटस डिलीट कर दिए जाएंगे।
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कंपनी ने कही ये बात
सिब्बल ने बताया कि हमने यूजर्स को इस पॉलिसी से सहमति जताने का आग्रह किया है। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके अकाउंट्स डिलीट कर दिए जाएंगे। इस पॉलिसी को स्थगित करने का कंपनी का कोई विचार नहीं है।
पॉलिसी पर विवाद
बता दें कि कंपनी की इस प्राइवेसी पॉलिसी की अनिवार्यता को लेकर विवाद शुरू हो गया है। जनवरी 2021 में कंपनी की ओर से इस पॉलिसी की घोषणा की गई थी। इसके बाद उसने मई तक के लिए इसे स्थगित कर दिया था।
कंपनी के इस नियम के अनुसार वाट्सएप को यह अधिकार होगा कि वह यूजर्स के इंटरेक्शन से जुड़ा कुछ डाटा पैरेंट कंपनी फेसबुक पर साझा कर सके।
3 जून तक के लिए सुनवाई स्थगित
दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिलहाल मामले की सुनवाई को 3 जून तक के लिए टाल दिया है। ए़़डिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और याचिकाकर्ता की ओर से यथास्थिति की मांग की गई है। इसके बाद उच्च न्यायलाय ने इसे अगली तारीख तक टाल दिया।
इन्होंने दायर की है याचिका
बता दें कि सीमा सिंह और लॉ स्टूडेंट चैतन्य रोहिल्ला ने अपनी याचिका में वाट्सएप की इस पॉलिसी पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा यह आदेश जारी किया जाए कि वाट्सएप इस तरह की पॉलिसी न लागू करे। अगर ऐसा नहीं हो सकता तो यूजर्स को विकल्प दिया जाए कि वे पॉलिसी को स्वीकार करें या फिर 4 जनवरी के अपडेट को न चुनें।
केंद्र ने लिखा है पत्र
जनवरी में विरोध के कारण कंपनी ने अपना निर्णय वापस ले लिया था, लेकिन फरवरी में उसने कहा कि वह अपने फैसले को लागू करेगी। इस मामले में केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर कंपनी से इस पॉलिसी को टालने की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक कंपनी अपने निर्णय पर कायम है।