देवनार के कचरे से खाड़ी को टेंशन

अन्य कचरों के साथ ही कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए उपयोग में लाये जानेवाली वस्तुओं के वेस्ट पदार्थ भी बड़ी मात्रा में यहां डंप किए जा रहे हैं। मुंबई के कई कोरोना सेंटर्स का कचरा भी यहीं फेंका जा रहा है। इस वजह से आसपास के लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है और वहां के निवासी काफी भयभीत हैं। लेकिन बीएमसी के पास इसका कोई विकल्प नहीं है।

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देश के सबसे बड़े डंपिंग ग्राउंड देवनार के कचरे और उससे निकलनेवाले जहरीले द्रव पदार्थ के पास की खाड़ी में गिरने से आसपास के पर्यावरण को प्रदूषित होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसे रोकने के लिए मुंबई महानगरपालिका ने डंपिंग ग्राउंड और खाड़ी के बीच एक सिंथैटिक दीवार बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए हिंदुस्तान इंजिनियरिंग कॉर्पोरेशन कंपनी को 69 करोड़ 17 लाख 90 हजार का ठेका दिया गया है।

डंपिंग ग्राउंड की क्षमता समाप्त
देवनार डंपिंग ग्राउंड की क्षमता बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी है। इसके साथ ही अदालत द्वारा 22 जून 2020 तक बढ़ाकर दी गई समय सीमा भी खत्म हो गई है। लेकिन बीएमसी के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है। इस वजह से अभी भी यहां हर दिन 450 मेट्रिक टन कचरा डाला जाता है। यहां के कचरे से बिजली उत्पादन करने के लिए प्रोजेक्ट निर्माण का कम जारी है। यह प्रोजक्ट करीब 15 हेक्टर में बनाया जा रहा है।  इस वजह से वहां से कचरा और जहरीला द्रव पदार्थ बड़ी मात्रा में निकल रहे हैं। ये कचरा और द्रव पदार्थ डंपिंग ग्राउंड के पास स्थित खाड़ी में जाने से प्रदूषण फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसे रोकने के लिए बीएमसी ने  एक किलोमीटर लंबी सिंथेटिक दीवार निर्माण करने का निर्णय लिया है। यह दीवार खाड़ी और डंपिंग ग्राउंड के बीच बनाकर खाड़ी को प्रदूषित होने से रोका जाएगा।

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कोरोना के कचरा भी दे रहा है टेंशन
अन्य कचरों के साथ ही कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए उपयोग में लाये जानेवाली वस्तुओं के वेस्ट पदार्थ भी बड़ी मात्रा में यहां डंप किए जा रहे हैं। मुंबई के कई कोरोना सेंटर्स का कचरा भी यहीं फेंका जा रहा है। इस वजह से आसपास के लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है और वहां के निवासी काफी भयभीत हैं। लेकिन बीएमसी के पास इसका कोई विकल्प नहीं है।

120 हेक्टर में फैला है यह डंपिंग ग्राउंड
मुंबई ही नहीं,देश का सबसे बड़ा देवनार डंपिंग ग्राउड 120 हेक्टर में फैला हुआ है। इसके उत्तर और पूर्व में ठाणे की समुद्री खाड़ी स्थित है। इस डंपिंग ग्राउंड में करीब 40 मीटर उंच्चा कचरे और मलबे का ढेर लगा हुआ है। यहां के आसपास के इलाकों में प्रदूषण और दुर्गंध फैलने की शिकायत वर्षों से मिलती रही है। इससे निपटने के लिए यहां के कचरे से बिजली उत्पादन करने के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। फिलहाल इसका काम शुरू है। करीब 15 हेक्टर में लगाए जा रहे इस प्रोजेक्ट के कारण बड़ी मात्रा में कचरा और जहरीले द्रव पदार्थ निकल रहे हैं। इसे पास की खाड़ी में जाने से रोकने के लिए ही बीएमसी ने सिंथेटिक वॉल बनाने का फैसला किया है।

मुंबई में हैं तीन डंपिंग ग्राउंड
महानगर में देवनार, मुलुंड और कांजुरमार्ग तीन डंपिंग ग्राउंड हैं। जिनमें मुलुंड डंपिंग ग्राउंड में कचरा फेंका जाना पूरी तरह से बंद हो चुका है। मुंबई का कचरा केवल देवनार और मुलुंड डंपिंग ग्राउंड में फेंका जा रहा है। इस वजह से इन दोनों डंपिंग ग्राउंड पर कचरे का लोड बढ़ गया है। हालांकि मुंबई के कचरे का प्रबंंधन एक बड़ी समस्या है और भविष्य में यह समस्या और बढ़े इससे पहले कोई कारगर उपाय करना जरुरी है।

क्या है उपाय?
ऐसा नहीं है कि इस समस्या से महाराष्ट्र सरकाार और बीएमसी अनजान है। वे वर्षों से इस समस्या का हल तलाशने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन इसका कारगर समाधान अभी तक नहीं मिल पाया है। वर्षोे से सूखा और गीला कचरा अलग कर इस समस्या को कम करने की कोशिश बीएमसी कर रही है। इसके साथ ही हर वॉर्ड मे कचरा प्रबंधन करने का उपाय कर भी इससे निजात पाने का प्रयास जारी है। लेकिन पिछले आठ महीनों से कोरोना महामारी के कारण इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है।

कई दिनों तक नहीं बुझी थी आग
27 जनवरी 2016 को आग लग गई थी। इसे बुझाने में कई दिन लग गए थे। यहां से निकलनेवाले धुएं और प्रदूषण से लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे। कई लोग गंभीर बीमारी का शिकार हुए थे। यहां तक कि इस डंपिंग ग्राउंड से निकलनेवाले धुएं का बादल सेटेलाइट से ली गई तस्वीरोें में भी साफ-साफ देखी गई थीं।

 

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