Kolhapur : ‘शिवाजी विश्वविद्यालय’ के नाम में ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ का अधूरा और एकल उल्लेख होने के कारण वर्षों से शिव भक्तों और हिंदू संगठनों में नाराजगी बनी हुई है। पहले भी कई शहरों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों और अन्य स्थानों के नाम छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के पूर्ण और सम्मानजनक रूप में बदल दिए गए हैं। इसी प्रकार, हिंदू जनजागृति समिति ने 20 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज चौक, कोल्हापुर में आंदोलन कर राज्य सरकार से यह मांग की कि ‘शिवाजी विश्वविद्यालय’ का नाम ‘छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय’ किया जाए। परम पूज्य कालीचरण महाराज की वंदनीय उपस्थिति इस आंदोलन में रही। साथ ही, श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू महासभा, हिंदू एकता आंदोलन, सनातन संस्था, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, पतित पावन संगठन, बाल हनुमान तरुण मंडल, शिवसेना और उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट सहित विभिन्न हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री सुनील घनवट ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व नहीं हैं, बल्कि महाराष्ट्र की अस्मिता और स्वाभिमान के प्रतीक हैं। उनके नाम का अधूरा या एकल उल्लेख करना, उनके महान कार्यों का अपमान है। वर्ष 1962 में लिया गया निर्णय अंतिम नहीं हो सकता। 60 वर्ष पहले दिए गए कारण आज भी स्वीकार्य नहीं हो सकते। अब समाज की जनभावना, ऐतिहासिक महत्व और सरकार की वर्तमान नीति को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव आवश्यक है।
पहले भी कई ऐतिहासिक संस्थानों के नाम बदले गए हैं। 1996 में ‘विक्टोरिया टर्मिनस’ का नाम ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ किया गया था। फिर, 2017 में इसे और सम्मानजनक रूप से ‘छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस’ कर दिया गया। इसी प्रकार, ‘औरंगाबाद’ का नाम ‘छत्रपति संभाजीनगर’ रखा गया। इसी तर्ज पर, ‘शिवाजी विश्वविद्यालय’ का नाम भी ‘छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय’ होना चाहिए। यदि इस नाम परिवर्तन को आगामी बजट सत्र से पहले लागू नहीं किया गया, तो हम राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने की चेतावनी देते हैं। यदि कोई इसका विरोध कर रहा है, तो यह अत्यंत चिंताजनक है। क्या शिवाजी विश्वविद्यालय वामपंथी विचारधारा का केंद्र बन गया है? जिस छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम हर कोई श्रद्धा से लेता है, उनके नाम का एकल उल्लेख कर ‘शिवाजी कौन था?’ यह पुस्तक कैसे बेची जा रही है? हम सरकार से मांग करेंगे कि इस पुस्तक का नाम तुरंत बदला जाए।”
हिंदू अपनी आस्था, अस्मिता और महापुरुषों के अपमान को कभी बर्दाश्त न करें! – परम पूज्य कालीचरण महाराज
हिंदुओं को अपनी श्रद्धास्थल, अस्मिता और महापुरुषों के अपमान को किसी भी परिस्थिति में सहन नहीं करना चाहिए। ऐसे अपमानों के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करना आवश्यक है, और इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर आंदोलन भी करना चाहिए। हिंदू जनजागृति समिति, सनातन संस्था, तथा समस्त हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा चलाए जा रहे इस आंदोलन को हमारा पूर्ण समर्थन है। इसी प्रकार हिंदुओं को सतत प्रयासरत रहकर हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य करना चाहिए।