98th Akhil Bharatiya Marathi Sahitya Sammelan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 21 फरवरी (शुक्रवार) को छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के 350वें वर्ष और आरएसएस के शताब्दी समारोह (Centenary celebrations of RSS) में दिल्ली (Delhi) में आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन (98th All India Marathi Sahitya Sammelan) के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि उनके सहित लाखों लोगों को देश के लिए जीने की प्रेरणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) से मिली है।
उन्होंने कहा, “इस बात पर गर्व है कि महाराष्ट्र की महान भूमि पर एक उल्लेखनीय मराठी भाषी व्यक्ति ने 100 साल पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीज बोए थे। आज हम इसकी शताब्दी मना रहे हैं। यह संगठन एक बरगद के पेड़ की तरह विकसित और फला-फूला है।”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 100 वर्षों से भारत की महान परंपरा और संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक संस्कार यज्ञ चला रहा है। pic.twitter.com/eJnAn7LgF9
— Narendra Modi (@narendramodi) February 21, 2025
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100 वर्षों का आरएसएस
उन्होंने कहा कि आरएसएस ने उनके जैसे लाखों लोगों को देश के लिए जीने की प्रेरणा दी है और संघ की वजह से ही उन्हें मराठी भाषा और मराठी परंपराओं से जुड़ने का सौभाग्य मिला है। पीएम ने कहा कि पिछले 100 वर्षों से आरएसएस भारत की महान परंपराओं और संस्कृति को नई पीढ़ी तक ले जाने के लिए संस्कार यज्ञ चला रहा है।
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भाषा के आधार पर विभाजन पैदा करने के प्रयासों से दूर रहें: पीएम
उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं के बीच कभी कोई दुश्मनी नहीं रही है और प्रत्येक ने एक-दूसरे को समृद्ध किया है, जो भाषाई आधार पर भेदभाव करने के प्रयासों का मुंहतोड़ जवाब है। पीएम मोदी ने मराठी को एक संपूर्ण भाषा बताया जिसमें वीरता और साहस, सुंदरता, संवेदनशीलता और समानता के तत्व प्रतिबिंबित होते हैं। पीएम मोदी ने कहा, “भारतीय भाषाओं के बीच कभी कोई दुश्मनी नहीं रही है। भाषाओं ने हमेशा एक-दूसरे को प्रभावित और समृद्ध किया है।”
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भाषाओं के आधार पर विभाजन
उन्होंने कहा कि अक्सर, जब भाषाओं के आधार पर विभाजन पैदा करने का प्रयास किया जाता है, तो भारत की साझा भाषाई विरासत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम इन गलत धारणाओं से खुद को दूर रखें और सभी भाषाओं को अपनाएं तथा उन्हें समृद्ध बनाएं।” उनकी यह टिप्पणी उस दिन आई है जब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने अपनी टिप्पणी दोहराई कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का कार्यान्वयन पूरे देश में तीन-भाषा फॉर्मूला लागू करने का एक प्रयास है।
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