Shashi Tharoor: कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में शशि थरूर (Shashi Tharoor) के प्रति हाल के दिनों में कोई लचीलापन देखने को नहीं मिला है। थरूर की पार्टी में भूमिका को लेकर उठे सवालों के बावजूद, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने उनके किसी भी अनुरोध या सुझाव का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अब थरूर के मामले में नरम रुख अपनाने के लिए तैयार नहीं है।
हाल ही में दिल्ली में हुई एक बैठक में थरूर ने पार्टी में अपनी अनदेखी पर नाराजगी व्यक्त की। हालांकि, राहुल गांधी ने इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे थरूर की असंतुष्टि और बढ़ गई।
मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान
कांग्रेस नेतृत्व को थरूर से इस कारण परेशानी हो रही है क्योंकि उन्होंने कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए थे। शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से उनकी मुलाकात की सराहना की थी। इसके साथ ही, केरल में एलडीएफ सरकार द्वारा किए गए औद्योगिक विकास को लेकर उनके सकारात्मक विचारों ने भी पार्टी में असंतोष को जन्म दिया था। सूत्रों के मुताबिक, शशि थरूर अब पार्टी से अलग होने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल रहा। राहुल गांधी से हुई मुलाकात के दौरान थरूर ने यह भी व्यक्त किया कि उन्हें “ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस” के प्रभारी पद से हटा दिया गया, जिसे उन्होंने स्वयं स्थापित किया था।
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केरल मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार
थरूर ने यह भी शिकायत की कि संसद में प्रमुख बहसों के दौरान उन्हें दरकिनार किया जा रहा है और उन्हें अवसर नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी से यह भी कहा कि यदि पार्टी उन्हें संसद में नेतृत्व सौंपने के लिए तैयार है, तो वह उसे स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन चुप रहे क्योंकि राहुल गांधी को पार्टी का नेता नियुक्त किया गया है। इस बैठक में थरूर ने राहुल गांधी से पूछा कि क्या पार्टी चाहती है कि वह राज्य राजनीति पर ध्यान केंद्रित करें, लेकिन राहुल ने इस सवाल का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। थरूर ने यह जानने की कोशिश की कि अगर कांग्रेस का ऐसा इरादा है, तो उनकी भूमिका क्या होगी। इस पर राहुल ने कहा कि पार्टी का यह परंपरा नहीं है कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन किया जाए।
ठोस आश्वासन नहीं मिला
थरूर को इस बैठक से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने पर वे असंतुष्ट हैं। हालांकि, उन्होंने कांग्रेस के युवा विंग की जिम्मेदारी लेने का संकेत दिया था, लेकिन राहुल गांधी इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे।
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