Chhattisgarh: अवैध धर्मांतरण के खिलाफ राज्य सरकार की कार्रवाई तेज, क्या जल्द आएगा कानून

इनमें से 52 ने कथित तौर पर रजिस्ट्रार ऑफ फर्म्स एंड सोसाइटीज के समक्ष खुद को ईसाई समुदाय से जुड़ा बताया है।

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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की भाजपा सरकार (BJP government) ने विदेशी फंडिंग (foreign funding) से एनजीओ द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय (Vishnudev Sai) ने 21 फरवरी (शुक्रवार) को इन एनजीओ के फंडिंग के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच की घोषणा की। नई दुनिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 153 एनजीओ विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकृत हैं।

इनमें से 52 ने कथित तौर पर रजिस्ट्रार ऑफ फर्म्स एंड सोसाइटीज के समक्ष खुद को ईसाई समुदाय से जुड़ा बताया है। केंद्रीय और राज्य जांच एजेंसियों ने विदेशी सहायता प्राप्त करने वाले सभी एनजीओ की गतिविधियों और वित्तीय लेन-देन की जांच शुरू कर दी है। स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कार्यों के उद्देश्य से गठित इन एनजीओ की गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं। इनमें से ज्यादातर एफसीआरए-पंजीकृत एनजीओ ने कथित तौर पर काम के लिए आदिवासी इलाकों को चुना है।

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अधिकांश गैर सरकारी संगठनों ने काम के लिए आदिवासी क्षेत्रों का चयन
रिपोर्ट के अनुसार, बस्तर में एफसीआरए पंजीकृत 19 में से 9 और जशपुर में 18 में से 15 संस्थान ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। बस्तर में ईसाई और आदिवासी समुदायों के बीच कब्रों को लेकर संघर्ष चल रहा है। पिछले कुछ समय से जशपुर इलाका ईसाई धर्मांतरण के लिए सुर्खियों में है। इस इलाके में राज्य में ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित सबसे ज्यादा संस्थान हैं। इसके अलावा, जशपुर जिले में सबसे ज्यादा ईसाई धर्मांतरण की खबरें आई हैं। जशपुर जिले में करीब 35 फीसदी आबादी के धर्मांतरित होने का अनुमान है।

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जशपुर जिले में 22.5 फीसदी ईसाई
गौरतलब है कि मार्च 2024 में एक आरटीआई आवेदन से पता चला था कि जिले में 210 लोगों ने कानूनी तौर पर ईसाई धर्म अपनाया है और उनमें से कोई भी जीवित नहीं है। वहीं, 2011 की जनगणना रिपोर्ट में जशपुर जिले में 22.5 फीसदी (1.89 लाख) से ज्यादा लोगों ने खुद को ईसाई बताया था। अब यह संख्या 3 लाख तक पहुंच गई है। यही कारण है कि आदिवासी पृष्ठभूमि से आने वाले मुख्यमंत्री ने इन धर्मांतरणों पर चिंता व्यक्त की है।

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धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की योजना बना रही सरकार
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार विधानसभा के बजट सत्र में धर्मांतरण संशोधन विधेयक पेश कर सकती है। नए कानून का नाम छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम होगा। बताया जा रहा है कि इस कानून का मसौदा तीन राज्यों के कानूनों का अध्ययन करने के बाद तैयार किया गया है। नए कानून के अनुसार, धर्मांतरण से पहले सूचना देनी होगी। राज्य गठन के बाद से अब तक धर्मांतरण संशोधन विधेयक दो बार विधानसभा में पेश किया जा चुका है, लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिल पाई है।

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न्यूनतम 25000 रुपये का जुर्माना
रिपोर्ट के अनुसार, विधेयक में नाबालिगों, महिलाओं और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के अवैध धर्मांतरण को अपराध माना गया है। इसके लिए न्यूनतम 2 साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। न्यूनतम 25000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा, अगर कोई अवैध सामूहिक धर्मांतरण करने का दोषी पाया जाता है, तो न्यूनतम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इस कानून में अवैध धर्म परिवर्तन के पीड़ितों को मुआवजा देने का भी प्रावधान है। न्यायालय पीड़ित को 5 लाख रुपए तक का मुआवजा दे सकता है। नए कानून के अनुसार धर्म परिवर्तन की वैधता साबित करने का भार धर्म परिवर्तन करने वाले और धर्म परिवर्तन करवाने वाले दोनों पर होगा।

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80 हजार परिवारों का धर्म परिवर्तन
रायपुर से भाजपा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कथित तौर पर राज्य विधानसभा को बताया कि कांग्रेस सरकार के दौरान धर्म परिवर्तन के खिलाफ करीब 34 मामले दर्ज किए गए थे। कुछ भाजपा नेताओं का दावा है कि मामले इससे कहीं अधिक थे। राज्य में कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि 2003 से 2011 के बीच धर्म परिवर्तन के मामलों में वृद्धि हुई। उन्होंने आगे दावा किया कि राज्य में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान 80 हजार परिवारों का धर्म परिवर्तन किया गया।

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