Kolkata: हिमंत बिस्वा सरमा ने हिंदुओं को चेताया, बताया किससे है सबसे ज्यादा खतरा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भारत की सभ्यता 5,000 वर्षों से भी पुरानी है और देश का इतिहास केवल 1947 में स्वतंत्रता के साथ शुरू नहीं हुआ।

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Photo : Social Media

Kolkata: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 2 मार्च को कोलकाता में आयोजित विवेकानंद सेवा सम्मान 2025 कार्यक्रम के दौरान कहा कि हिंदुओं को अन्य धर्म या धर्मावलंबियों से अधिक अपने अंदर मौजूद तथाकथित उदारवादियों और अति वामपंथियों से नुकसान का खतरा है।

असम के मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं मानता हूं कि हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा खतरा वामपंथी और उदारवादी हैं। पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को कमजोर करने की परंपरा वामपंथियों से शुरू हुई, जिसे ममता बनर्जी ने आगे बढ़ाया।”

सभ्यता 5,000 वर्षों से भी अधिक पुरानी
उन्होंने कहा कि भारत की सभ्यता 5,000 वर्षों से भी पुरानी है और देश का इतिहास केवल 1947 में स्वतंत्रता के साथ शुरू नहीं हुआ। सरमा ने कहा, “भारत स्वाभाविक रूप से एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, हमें किसी से भी सहिष्णुता और भाईचारे का पाठ पढ़ने की जरूरत नहीं है।”

हिंदू समाज के अस्तित्व को लेकर उन्होंने कहा, “हिंदू सभ्यता ने हजारों सालों में कई चुनौतियों का सामना किया है और आगे भी कायम रहेगी। हिंदू कभी खत्म नहीं हो सकता”।

मोदी के नेतृत्व में सुधार
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि देश में असली परिवर्तन उनके नेतृत्व में आया है। सरमा ने कहा, “राम मंदिर 500 वर्षों बाद बन पाया है। कदाचित् भगवान श्रीराम प्रधानमंत्री की मोदी के माध्यम से ही स्थापित होना चाहते थे। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में हर तरह के सुधार हो रहे हैं। कांग्रेस शासन मैं हुई गलतियों को सुधारा जा रहा है। तीन तलाक खत्म हो चुका है, वक्फ कानून पर भी चर्चा शुरू हो चुकी है। देश में समान नागरिक संहिता लागू होने के भी संकेत मिल रहे हैं।

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हिंदू सभ्यता आज भी मजबूत
उन्होंने कहा कि भारत की सभ्यता की ताकत ही है कि आजादी के बाद पाकिस्तान इस्लामिक देश बना, लेकिन भारत अपने प्राचीन धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर कायम रहा। “कई सभ्यताएं आईं और खत्म हो गईं, लेकिन हिंदू सभ्यता आज भी मजबूती से खड़ी है।”

अपने सोशल मीडिया पोस्ट में सरमा ने लिखा, “मैं कोलकाता में विवेकानंद सेवा सम्मान 2025 में हूं, जो स्वामीजी के आदर्शों और शिक्षाओं को समर्पित एक प्रयास है।”

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