Indian Army: युद्धक टैंक टी-72 को अब 1000 हॉर्स पावर के इंजन से लैस किये जाने की तैयारी है, जिससे भारतीय सेना की युद्धक गतिशीलता और आक्रामक क्षमता बढ़ेगी। इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने 7 मार्च को रूसी कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ 248 मिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं।इस सौदे में ट्रांसफर टेक्नोलॉजी के तहत इंजनों को जोड़ने और बाद में चेन्नई के अवाडी स्थित आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (हैवी व्हीकल फैक्टरी) को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी शामिल है।
रूस में निर्मित टी-72 भारतीय सेना के बेड़े का मुख्य टैंक है, जो अभी 780 हॉर्स पावर इंजन से संचालित है। भारत के पास टी-72 टैंक के कुल तीन वेरिएंट हैं। टी-72 टैंकों के मौजूदा बेड़े को अब 1000 एचपी इंजन से लैस किया जाएगा, जिससे भारतीय सेना की युद्धक गतिशीलता और आक्रामक क्षमता बढ़ेगी। इस टैंकको 1960 के दशक में सोवियत रूस ने विकसित और निर्मित करके रूसी सेना ने तमाम मोर्चों पर इसका इस्तेमाल शुरू किया। चीन के साथ 1962 में लड़ाई के बाद भारतीय सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने की योजना बनी। इसी क्रम में 1970 के आसपास भारत ने रूस से टी-72 टैंक खरीदा। यह यूरोप से बाहर भारत का पहला टैंक सौदा था और तबसे यह भारतीय सेना का भरोसेमंद साथी है।
एलएसी पर किया गया तैनात
चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में गतिरोध शुरू होने के बाद इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात किया गया है। इसी तैनाती के दौरान लद्दाख में एक ड्रिल के दौरान भारतीय सेना के 5 जवान हुतात्मा हो गए थे। यह सैनिक टी-72 टैंक पर सवार होकर श्योक नदी में अभ्यास कर रहे थे। इसी दौरान अचानक पानी का तेज बहाव आने से टैंक फंस गया और बाहर नहीं निकल पाया। टी-72 टैंक 41 हजार किलोग्राम (41 टन) वजनी है, जिसमें कुल 3 क्रू मेंबर्स के बैठने की जगह है। इस टैंक की ऊंचाई 2190 एमएम और चौड़ाई 3460 एमएम है। यह 60 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ सकता है, लेकिन कच्चे और खराब रास्तों पर इसकी गति 35 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे होती है।