Syria: सीरिया (Syria) में एक नया संघर्ष (new conflict) शुरू हो गया है। लताकिया प्रांत (Latakia province) में अलावितों ने नई सरकार के खिलाफ विद्रोह किया है। बता दें कि यहां रूस के सैन्य अड्डे स्थित हैं। इसके जवाब में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियांऔर क्रूर दमन की कार्रवाई की गई हैं। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसारइस दौरान, 340 से अधिक निर्दोष नागरिक मारे गए हैं, जिनमें कई अलावित भी शामिल हैं। मृतकों की संख्या अधिक हो सकती है।
6 मार्च को लताकिया में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए। अलावितों, जिन्होंने परंपरागत रूप से बशर अल-असद के शासन का समर्थन किया था, ने नई सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की और उन पर दमन के आरोप लगाए। इसके जवाब में सरकारी सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां शुरू कर दीं। कुछ ही दिनों में 1,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन पर असद शासन के दौरान युद्ध अपराधों में शामिल होने का संदेह था। क्षेत्रीय निवासियों का कहना है कि इन गिरफ्तारियों का कोई कानूनी आधार नहीं था और इनमें कई निर्दोष लोग शामिल थे।
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गांव पर कठोर कार्रवाई
स्थिति तब और बिगड़ गई, जब जाबली के पास एक गांव पर कार्रवाई की गई। सरकारी बलों ने गांव को घेर लिया क्योंकि उन्हें शक था कि वहां विद्रोहियों का हथियार छिपा हुआ है। इसके बाद संघर्ष शुरू हुआ, जिसमें नई सरकार के 13 सैनिक मारे गए। जवाब में, सरकारी सेना ने गांव को गोला-बारूद से निशाना बनाया। इससे लताकिया में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क गई। 2 शहरों में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशनों और हथियारों के गोदामों पर कब्जा कर लिया।
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सीरिया मुक्ति के लिए सैन्य परिषद की घोषणा
विद्रोहियों ने “सीरिया मुक्ति के लिए सैन्य परिषद” की घोषणा की, जिसका नेतृत्व असद की सेना के पूर्व जनरल ग़ियास अद-दला ने किया। उन्होंने कहा कि वे वर्तमान सरकार के खिलाफ लड़ेंगे। उन्होंने “जिहादी” सरकार करार दिया। हालांकि, नई सरकार की सेनाओं ने जल्दी ही स्थिति को नियंत्रण में कर लिया। 8 मार्च को ड्रोन और बख्तरबंद वाहनों की मदद से विद्रोह को लगभग दबा दिया गया।
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कत्ल और अत्याचार की वीडियो क्लिप आई सामने
सोशल मीडिया पर लताकिया के नागरिकों पर किए गए कत्ल और अत्याचारों की वीडियो क्लिप्स सामने आई हैं। सीरियाई मानवाधिकार निगरानी परिषद (SOHR) के अनुसार, विद्रोह को दबाने के दौरान कम से कम 340 लोग मारे गए। वहीं अलावित स्रोतों का दावा है कि मारे गए नागरिकों की संख्या 600 से अधिक है और उन्होंने इसे “खून सनी शुक्रवार” करार दिया है।
वैश्विक समुदाय की मिश्रित प्रतिक्रिया
वैश्विक समुदाय की प्रतिक्रिया मिश्रित रही। इजराइल और ईरान ने सीरियाई सरकार की कार्रवाई की निंदा की और उस पर अलावितों का नरसंहार करने का आरोप लगाया। कतर, तुर्की और कुछ अन्य अरब देशों ने अहमद अश-शारा सरकार का समर्थन किया, यह कहते हुए कि यह ऑपरेशन असद शासन के खिलाफ था। विभिन्न देशों के मीडिया में भिन्न जानकारी दी गई है। “अल-जजीरा” का दावा है कि विद्रोह का समर्थन ईरान और लेबनान की “हिजबुल्लाह” ने किया, जबकि सीरियाई समाचार एजेंसी “अल जमहुरिया” का कहना है कि प्रदर्शन के पीछे इजराइली खुफिया एजेंसियां हैं।
क्रूर व्यवहार की निंदा की
अहमद अश-शारा ने 7 मार्च की रात को कहा कि सीरिया “बाहरी शक्तियों” को देश में अस्थिरता फैलाने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने बंदी बनाए गए लोगों के साथ क्रूर व्यवहार की निंदा की। इसके बाद, सीरियाई सरकारी मीडिया ने यह रिपोर्ट दी कि मारे गए कुछ नागरिक दरअसल विद्रोहियों जैसे कपड़े पहने हुए थे।
संघर्ष में मारे गए 80 सरकारी सैनिक
सीरिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, संघर्षों में 80 सरकारी सैनिक मारे गए। अलावित प्रतिरोध में कितनी हताहतें हुईं, इसका आंकड़ा अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
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