अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर (Tariff War) का असर अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। इसकी वजह से सबसे अधिक अमेरिकी बाजार (US Market) ही प्रभावित होता हुआ नजर आ रहा है, जिसके कारण अमेरिकी बाजार के सूचकांक अपने ऑल टाइम हाई से काफी नीचे आ गए हैं। एसएंडपी 500 इंडेक्स अपने रिकॉर्ड हाई से 10 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है। इसी तरह नैस्डेक (Nasdaq) और डाउ जॉन्स (Dow Jones) भी बड़ी गिरावट का शिकार हुए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के कारण ट्रेड वॉर गहराने के संकेत मिलने लगे हैं, जिसका प्रत्यक्ष असर अमेरिकी बाजार में आई तबाही के रूप में नजर आने लगा है। गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यूरोपीय वाइन, शैंपेन और शराब के दूसरे उत्पादों पर 200 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी। इसके साथ उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि स्टील और एल्यूमीनियम पर लागू किए गए टैरिफ को वापस नहीं लिया जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप ने ये भी कहा कि वे 2 अप्रैल से लागू होने वाले रेसिप्रोकल टैक्स के फैसले से भी पीछे नहीं हटेंगे। डोनाल्ड ट्रंप की इस घोषणा के कारण अमेरिकी बाजार में भगदड़ की स्थिति बन गई, जिसके कारण वॉल स्ट्रीट के सूचकांक में बड़ी गिरावट आ गई। नैस्डेक इंट्रा-डे में 2 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया, वहीं एसएंडपी 500 इंडेक्स 1.5 प्रतिशत से ज्यादा टूट गया।
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मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण कुछ ही दिन में ग्लोबल मार्केट हाई जोन से करेक्शन जोन में आ गया है। इसकी वजह से अमेरिका में आर्थिक मंदी आने की आशंका भी बन गई है। कैपेक्स गोल्ड एंड इन्वेस्टमेंट्स के सीईओ राजीव दत्ता का कहना है कि ट्रंप की सरकार बनते वक्त अमेरिकी बाजार के साथ ही दुनिया के ज्यादातर बाजार फुल प्राइस लेवल पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन अब ये स्थिति नहीं है। ट्रंप की जीत के बाद से ही उनके बयानों और एक्शन की वजह से चौतरफा का करेक्शन होता हुआ नजर आ रहा है। मार्केट का सेंटीमेंट काफी खराब हो गया है, जिसकी वजह से निवेशकों में घबराहट का माहौल है। राजीव दत्ता के अनुसार अमेरिकन एसोसिएशन आफ इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स के वीकली पोल में लगातार तीसरे सप्ताह मार्केट में बेयरिश सेंटीमेंट 55 प्रतिशत के ऊपर पर रहा है। इसके पहले सिर्फ मार्च 2009 में लगातार 3 सप्ताह तक अमेरिकी बाजार में बेयरिश सेंटिमेंट हावी रहा था।
इस टैरिफ वॉर का कुछ असर भारत पर भी पड़ना तय है। हालांकि माना जा रहा है कि भारत पर दूसरे देशों की तुलना में इस टैरिफ वॉर और रेसिप्रोकल टैक्स का कम असर पड़ेगा, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था निर्यात की तुलना में घरेलू खपत पर अधिक निर्भर करती है। इसलिए अगर निर्यात में गिरावट भी आती है, तब भी भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक प्रभावित नहीं होगी।
जहां तक निर्यात में गिरावट की बात है, तो धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि भारत को इस मामले में कुछ खास कमोडिटी और कुछ खास सेक्टर में झटका जरूर लग सकता है लेकिन ज्यादातर सेक्टर में भारत सरकार पहले ही टैक्स में कमी कर चुकी है, जिसके कारण रेसिप्रोकल टैक्स का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही अमेरिका के निर्यात पर असर पड़ने की बात अगर छोड़ दें तो भारत का यूरोपीय और अन्य देशों में निर्यात पहले की तरह होता रहेगा। इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का भारत पर अधिक असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।
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