फिर भवानीपुर आएंगी दीदी! जानिये, क्या है मामला

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी विधानसभा में पहुंचने की कोशिश में जुट गई हैं। नंदीग्राम में चुनाव हारने के बाद उन्हें छह महीने में विधानसभा का सदस्य बनना जरुरी है।

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी अब फिर से अपनी पारंपारिक चुनाव क्षेत्र भवानीपुर से किस्मत आजमाएंगी। नंदीग्राम में मात खाने के बाद उन्होंने ये निर्णय लिया है। उनका रास्ता साफ करने के लिए इस सीट के वर्तमान विधायक शोभनदेब चट्टोपध्याय ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। उनके त्याग पत्र को विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने तत्काल स्वीकार कर लिया है।

इस बारे में बनर्जी ने कहा कि मैंने उनसे पूछा कि वह खुद इस्तीफा दे रहे हैं या किसी का दबाव है। उनके किसी प्रकार के दबाव से इनकार करने के बाद मैंने उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है। इसके बाद अब उपचुनाव लड़कर ममता बनर्जी विधानसभा में पहुंच सकती है।

भवानीपुर ममता की पारंरपरिक सीट
बता दें कि ममता बनर्जी भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ती रही हैं। लेकिन इस बार उन्होंने नंदीग्राम में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार और अपने पूर्व करीबी सुवेंदु अधिकारी को चुनौती देने उतरी थीं। इस चुनौती में तो वे हार गईं, लेकिन उनकी पार्टी ने 213 सीटों पर जीत दर्ज कर उनकी निराशा कम कर दी।

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छह महीने में विधानसभा का सदस्य बनना जरुरी
नंदीग्राम के हार के बावजूद ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी हैं। इस स्थिति में उन्हें अगले छह महीने में विधानसभा की सदस्यता प्राप्त करनी है। इस बारे में विधायक शोभनदेव चट्टोपध्याय ने कहा कि यह पार्टी का निर्णय है और मैं उसके साथ खड़ा हूं।

 शोभनदेव चट्टोपध्याय का क्या होगा?
चट्टोपध्याय बंगाल सरकार में कृषि मंत्री हैं। मिली जानकारी के अनुसार वे खरदाह सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इस सीट की टीएमसी के उम्मीदवार काजल सिन्हा की कोरोना से मौत हो जाने के बाद यहां चुनाव रद्द कर दिया गया था।
शोभनदेव को ममता बनर्जी का खास माना जाता है। इसलिए उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट भवानीपुर से उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर दिया था। हो सकता है, ममता को नंदीग्रााम से जीत में पहले से ही संदहे रहा हो, इस हालत में उन्होंने अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपनी पारंपरिक सीट से अपने करीबी शोभनदेव को मैदान में उतारा हो।

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