चीन ने एक बार फिर अपना अड़ियल रवैया दिखाया है। उसने कहा है कि 14वें दलाई लामा का उत्तराधिकारी वही चुनेगा। चीन ने कहा है कि अगर अगर दलाई लामा खुद या उनके अनुयायी उनके उत्तराधिकारी चुनते हैं तो बीजिंग उन्हें मान्यता नहीं देगा।
चीनी सरकार ने श्वेत पत्र जारी कर दावा किया है कि दलाई लामा का पुनर्जन्म और अन्य जीवित बौद्धों को चिंग राजवंश के समय से ही उसकी केंद्र सरकार मंजूरी देती रही है।
तिब्बत चीन का अभिन्न अंग, चीन का दावा
चीन द्वारा जारी दस्तावेज में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि तिब्बत प्राचीन काल से ही उसका अभिन्न अंग रहा है। दस्तावेज में ये भी लिखा गया है कि साल 1773 से गोरखा घुसपैठियों को खदेड़े जाने के बाद चिंग सरकार ने तिब्बत में व्यवस्था बहाल की और वहां बेहतर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अध्यादेश जारी किया।
क्या कहता है इतिहास?
ऐतिहासिक विवरण के अनुसार चीन में सन् 1644 से 1911 तक चिंग राजवंश था। 14वें यानी मौजूदा दलाई लामा अब 85 वर्ष के हो गए हैं। वे सन् 1959 में ही तिब्बत में चीन की कार्रवाई के बाद भागकर भारत आ गए थे। भारत ने उनको राजनैतिक शरण दी थी।
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अमेरिका ने कही ये बात
दलाई लामा के उत्तराधिकारी चुने जाने को लेकर पिछले कुछ साल से चर्चा गरम है। यह चर्चा उस समय शुरू हुई, जब अमेरिका भी इस मामले में रुचि लेने लगा। अमेरिका ने इस बात की पैरवी की कि उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध नेता और तिब्बत के लोगों का है। इसके लिए अमेरिका ने एक एक्ट भी पारित किया है।
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हम ही चुनेंगे अगला दलाई लामाः चीन
चीन के विदेश मंत्रालय लगातार यह दलाई लामा के चुनने की प्रक्रिया काफी पुरानी है। चीन ने कहा कि 14वें दलाई लामा को धार्मिक और ऐतिहासिक परंपराओं का पालन करते हुए चुना गया था और अब उनका उत्तराधिकारी भी चीन ही चुनेगा।