Land for Jobs Scam Case: लैंड फॉर जॉब मामले में लालू प्रसाद यादव को समन, जानें कब होना होगा पेश

लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव और पत्नी राबड़ी देवी सहित उनके परिवार के कुछ सदस्यों को भी आज (18 मार्च) संघीय जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है।

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Land for Jobs Scam Case: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) (ईडी) ने राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) (आरजेडी) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को बुधवार (19 मार्च) को जमीन के बदले नौकरी के मामले (land for jobs case) में पूछताछ के लिए पेश होने के लिए समन जारी किया है। 77 वर्षीय नेता को पटना में संघीय जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है।

लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव और पत्नी राबड़ी देवी सहित उनके परिवार के कुछ सदस्यों को भी आज (18 मार्च) संघीय जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है। उनके बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किए जाने हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों के एजेंसी के समक्ष पेश होने की उम्मीद नहीं है।

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सीबीआई जांच और मामले का विवरण
इससे पहले पिछले साल 29 मई को कोर्ट ने सीबीआई को नौकरी के लिए जमीन मामले में निर्णायक चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने समय दिए जाने के बावजूद निर्णायक चार्जशीट दाखिल न करने पर भी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने 4 अक्टूबर 2023 को पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी और अन्य को कथित नौकरी के लिए जमीन घोटाले मामले में पहले की चार्जशीट के संबंध में जमानत दे दी थी।

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17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट
सीबीआई के अनुसार, दूसरी चार्जशीट 17 आरोपियों के खिलाफ थी, जिसमें तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री, उनकी पत्नी, बेटे, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के तत्कालीन दो सीपीओ, निजी व्यक्ति, निजी कंपनी आदि शामिल थे। सीबीआई ने नौकरी के लिए जमीन घोटाले से संबंधित मामले में पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव सहित बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया।

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नौकरी के लिए जमीन मामले के बारे में
सीबीआई ने 18 मई, 2022 को तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने 2004-2009 की अवधि के दौरान रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रुप “डी” पद पर स्थानापन्नों की नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों आदि के नाम पर जमीन-जायदाद के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था। यह भी आरोप लगाया गया कि इसके बदले में स्थानापन्नों ने, जो स्वयं पटना के निवासी थे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से पटना में स्थित अपनी जमीन को उक्त मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में बेच दिया और उपहार में दे दिया, जो उक्त परिवार के सदस्यों के नाम पर ऐसी अचल संपत्तियों के हस्तांतरण में भी शामिल थी।

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क्षेत्रीय रेलवे
यह भी आरोप लगाया गया कि क्षेत्रीय रेलवे में ऐसे स्थानापन्नों की नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, फिर भी पटना के निवासी नियुक्त लोगों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर स्थित विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया। सीबीआई ने कहा कि दिल्ली और बिहार सहित कई स्थानों पर तलाशी ली गई।

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