जानिये, क्यों कई देश भारत में कोरोना कंट्रोल की मांंग रहे हैं दुआएं?

खुद कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत द्वारा वैक्सीन द्वारा अस्थाई रुप से निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद कई गरीब देश निराश हैं। पहला डोज ले चुके इन देशों के लोग नहीं जानते कि उन्हें दूसरा डोज मिल पाएगा या नहीं।

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भारत जो वैक्सीन मैत्री के जरिए दूसरे देशों को टीका भेज रहा था, आज खुद ही कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में है और टीके की कमी से जूझ रहा है। लेकिन भारत की इस दरियादिली की प्रशंसा चीन और पाकिस्तान को छोड़कर पूरी दुनिया एक स्वर में कर रही है। यह उसी का कमाल है कि जब भारत पर कोरोना का कहर टूट पड़ा है तो विश्व भर के 40 से भी ज्यादा देशों ने किसी न किसी रुप में मदद के हाथ बढ़ाए हैं।

ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अन्य जीवन रक्षक दवाओं से जूझ रहे भारत की मदद के लिए दुनिया के अमीर से लेकर गरीब देश तक टूट पड़े हैं। अमेरिका, रसिया, ब्रिटेन, फ्रांस, सिंगापुर, जर्मनी और स्विटजरलैंड से लेकर मॉरिशस, बांग्लादेश और भूटान जैसे गरीब देश भी जितना संभव हो सकता था, मदद के लिए आगे आए हैं। खाड़ी देशों की बात करें,तो यूएई, बहरीन, कतर और सऊदी अरब भी भारत की मदद करने में पीछे नहीं रहे हैं।

गुयाना जैसे देश भी आए आगे
ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भौगेलिक रुप से दूर गुयाना जैसे देशों की भी सहायता आना देश के लिए गर्व की बात है।
यहां तक फिलीस्तिनी हमले झेल रहा इजरायल भी भारत की मदद करने के अपने कर्तव्य को नहीं भूला और उसने भी मदद का हाथ बढ़ाया।

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भावुक कर देंगे संवेदना संदेश
यही नहीं मदद के साथ इन देशों  के कोरोना की सुनामी झेल रहे भारत के लिए जो संवेदना संदेश आ रहे हैं, वे भी भारत के लिए गर्व की बात है।

  • जरा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का संदेश पढ़िए, ‘हम अपने एक मित्र और भागीदार के रुप में भारत के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। सैकड़ों ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर्स और वेंटिलेटर सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण अब ब्रिटेने से भारत भेजा जा रहा है, जिससे इस भयानक वायरस से लोगों का जीवन बचाया जा सके।’
  • फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने कहा, ‘हम जिस महामारी से गुजर रहे हैं, कोई इससे अछूता नहीं है। हम जानते हैं कि भारत एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है। फ्रांस और भारत हमेश एकजुट रहे हैं।’
  • अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, ‘महामारी के शुरुआती दौर में जब हमारे अस्पताल में दबाव थे, भारत ने उस वक्त सहायता भेजी थी। उसी तरह जरुरत के समय भारत की मदद करने के लिए हम कटिबद्ध हैं।’
  • ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा,’जैसा कि भारत एक मुश्किल दूसरी कोरोना लहर का सामना कर रहा है। ऐसे में ऑस्ट्र्लिया भारत में अपने दोस्त के साथ खड़ा है। हम जानते हैं कि भारत कितना मजबूत और लचीला है। पीएम नरेंद्र मोदी और मैं वैश्विक चुनौती में साझेदारी का काम करते रहेंगे।’

कोवैक्स में भी दिया योगदान
भारत ने वैक्सीन मैत्री के तहत नेपाल,श्रीलंका, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, मालदीव, केन्या, मॉरिशस, बांग्लादेश जैसे देशों को न सिर्फ टीके की सप्लाई की, बल्कि डब्ल्यूएचओ की कोवैक्स इनीशिएटिव में भी योगदान दिया। कोवैक्स नाम की पहल विशेष तौर पर वैसे विकासशील और गरीब देशों को वैक्सीन दिलाने के लिए शुरू की गई है, जिनके पास अपना टीका नहीं है।

खुद भी झेल रहे हैं करोना की मार
सबसे बड़ी बात यह है कि जो देश आज भारत की मदद के लिए आगे आए हैं, उनमें से ज्यादातर खुद भी कोरोना संक्रमण से बुरी तरह जूझ रहे हैं। अपनी परेशानी को भूलकर अगर वे भारत की मदद करने के लिए आगे आए हैं, तो हमारे लिए गर्व और प्रसन्नता की बात है।

यह बहुत बड़ा संदेश
विदेशों से मिल रहे सहायता और सहयोग के साथ आफत की इस घड़ी में भारत के लिए उनके दिल से निकलनेवाली दुआएं हम भारतीयों के लिए गदगद होने का विषय है। इस बारे में विदेश सचिव हर्ष श्रृखंला ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस संबंध में हमारे अपने प्रयासों के लिए एक निश्चित सरहाना है। मुझे लगता है कि अगर आज कई देश हमारे प्रयासों का समर्थन करने के लिए आगे आ रहे हैं, तो यह हमारे अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक सद्भावना का हिस्सा है। विश्व स्तर पर सद्भावना भारत ने बनाई है, उस वजह से भारत एक अच्छी स्थिति में है। 40 से अधिक देश भारत की मदद करने के लिए आगे आए हैं। यह बहुत बड़ा संदेश है।’

सच्चाई ये है
आज विपक्षी पार्टियां भले ही गरीब और दूसरे देशों को वैक्सीन देने के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने का प्रयास कर रही हों, लेकिन सच्चाई यही है कि जब वैक्सीन दूसरे देशों को भेजी जा रही थी तो देश में कोरोना संक्रमण काफी कम था और ऐसा लग रहा था कि अब कोरोना की अंतिम विदाई निकट है। इस मुद्दे पर वैक्सीन किंग और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जब भारत सरकार ने वैक्सीन विदेशों में भेजने का निर्णय लिया, उस समय देश में कोरोना संक्रमण काफी कम था और जनवरी में देश में वैक्सीनेशन भी शुरू हो चुका था। उन्होंने कहा कि भारत की उसी दरियादिली का परिणाम है कि आज विश्व भर से भारत को मदद मिल रही है।

गरीब देश निराश
खुद कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत द्वारा वैक्सीन के अस्थाई रुप से निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद कई गरीब देश निराश हैं। पहला डोज ले चुके इन देशों के लोग नहीं जानते कि उन्हें दूसरा डोज मिल पाएगा या नहीं। ऐसे देशो में केन्या, घाना, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव आदि शामिल हैं। केन्या को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया उत्पादित कोविशील्ड की 10 लाख वैक्सीन मिली थी। लेकिन भारत से निर्यात रोके जाने का मतलब है कि 30 लाख वैक्सीन की दूसरी खेप अब उसे नहीं मिलेगी। ये खेप उसे जून महीने में मिलने वाली थी।

भारत के लिए मांग रहे हैं दुआएं
केन्या के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘अगर हमारे पास टीके होते तो हम अब तक टीकाकरण का दूसरा फेज शुरू कर देते। सच्चाई यही है कि हमारे पास टीके नहीं हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही भारत में स्थिति सामान्य होगी, लेकिन हम फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।’ केन्या जैसे हाल ही दूसरे देशों के भी हैं। वे भारत में स्थिति सामान्य होने के लिए दुआएं मांग रहे हैं, ताकि उन्हें वैक्सीन की दूसरी खेप मिल सके।

कोवैक्स की सबसे बड़ी वैक्सीन आपूर्तिकर्ता कंपनी सीरम
बता दें सि गरीब देशों के लिए वैक्सीन सप्लाई करनेवाला कोवैक्स की दुनिया में सबसे बड़ी वैक्सीन निर्यातक कंपनी भारत की सीरम ही है। लेकिन फिलहाल देश ने वैक्सीन के निर्यात पर रोक लगा दी है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि कम से कम अक्टूबर से पहले इसके दोबारा शुरू किए जाने की संभावना नहीं है।

यूनीसेफ ने जताई चिंता
इस बीच यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरिट्टा फोरे ने चिंता जताते हुए कहा है, ‘नेपाल, श्रीलंका,केन्या, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और ब्राजील जैसे देशों में केस तेजी से बढ़ रहे हैं, और स्वास्थ्य ढांचा छोटा पड़ रहा है। इन देशों में भारत द्वारा निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद टीकों की आपूर्ति पर असर पड़ रहा है।’

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