ये साजिश तो नहीं? चीनी वायरस को बता दिया था ‘इंडियन वेरिएंट’ अब हुई बड़ी कार्रवाई

कोविड 19 वायरस की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न प्रकार तथ्यहीन जानकारियां सोशल मीडिया साइट्स पर चलती रही हैं इसमें चीन और पाकिस्तान के साइबर अपराधियों की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता। चीन जहां इस वायरस को दूसरे देशों की उत्पत्ति बताने की साजिश रच रहा है तो वहीं, उसका पिछलग्गू पाकिस्तान भ्रामक प्रचारों में साथ देकर स्वामी निष्ठा प्रदर्शित कर रहा है।

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सोशल मीडिया के माध्यम से कोरोना पर विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्रसारित की जा रही हैं। इसमें से बहुतायत तथ्यहीन हैं। ऐसी ही एक जानकारी कोरोना के ‘इंडियन वेरिएंट’ को लेकर फैलाई जा रही है। जिस पर अब केंद्र सरकार ने कड़ा कदम उठाया है।

केंद्र सरकार ने इस संदर्भ में स्पष्ट किया है कि कोरोना के ‘इंडियन वेरिएंट’ को लेकर जो भी समाचार सोशल मीडिया साइट्स पर चल रहे हैं वे सभी तथ्यहीन और गलत हैं। इस संबंध में भारत सरकार के सूचना तकनीकी मंत्रालय में सभी सोशियल मीडिया प्लेटफार्म को ऐसी भ्रामक जानकारियों को हटाने और न प्रकाशित करने की सूचना दी है।

केंद्रीय मंत्रालय के अनुसार इस संबंध में 12 मई 2021 को ही स्पष्ट कर दिया गया था विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के बी.1.617 वेरिएंट के संदर्भ में किसी बात को प्रमाणित नहीं किया है, जिससे उसके इंडियन वेरिएंट के होने की पुष्टि होती हो।

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हिंदुस्थान पोस्ट पर पहले ही हो चुका था “चीनी वायरस” का खुलासा
हिंदुस्थान पोस्ट पर मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कोविड-19 पर बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने फेसबुक लाइव के माध्यम से प्रसारित कार्यक्रम में बताया था कि कोविड-19 अर्थात सार्स-सोओवी-2 वायरस चीन के वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की प्रयोगशाला में उत्पन्न किया गया था। उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया था कि नोवेल कोरोना वायरस गेन ऑफ फंक्शन वायरस है जिसे प्रयोगशाला में विकसित किया जाता है।

कोविड-19 महामारी नहीं चीन का जैविक युद्ध! मेजर जनरल जीडी बख्शी ने दिये प्रमाण

चीन में 2015 में जेजे जांग नामक पिपल्स लिबरेशन आर्मी के अधिकारी ने अन्य 18 सैन्य अधिकारियों के साथ मिलकर एक पेपर लिखा था। जिसमें सार्स-सोओवी-2 वायरस की बात कही गई थी। इसे जैविक विश्वयुद्ध की श्रेणी में रखकर प्रसारित करने की चर्चा उस पेपर में की गई थी। यह पेपर अमेरिका के पास उपलब्ध है और ऑस्ट्रेलिया में चीन की नेत्र रोग विशेषज्ञ इसे चीन की मेंडरिन भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद कर रही हैं।

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