Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में तकरार बढ़ रही है। राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के बीच सियासी खींचतान के संकेत मिल रहे हैं। कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं हुई। इतना ही नहीं कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु का लालू यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात ना करना और कन्हैया कुमार के नेतृत्व में “पलायन रोको नौकरी दो “पदयात्रा को लेकर भी लालू यादव की पार्टी को कांग्रेस ने अंधेरे में रखा।
कांग्रेस की दबाव की राजनीति?
ऐसा माना जा रहा है कि बिहार में कांग्रेस सीटों के बंटवारे में अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए इस तरह की दबाव की राजनीति अपना रही है। राष्ट्रीय जनता दल द्वारा रमजान के महीने में आयोजित इफ्तार पार्टी में कांग्रेस नेताओं का न जाना एक सोची समझी रणनीति है। लगभग तीन दशक पुराने सहयोगियों के बीच यह दूरी आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं है।
राजग दे रहा एकजुटता का संदेश
रजक खेमे में देखे तो 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद तीन बार राजग मुख्यमंत्री परिषद की बैठक हो चुकी है। राज्य के सभी घटक दलों में आपसी सामंजस्य देखने को मिल रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान राजग में नहीं थे। लेकिन इस बार चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, हम के जीतन राम मांझी सभी राजग में एकजुट होकर खड़े हैं। इतना ही नहीं ,जनवरी महीने में जनता दल के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के दही -चूड़ा भोज कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह की लंबी मौजूदगी देखी गई थी।