-प्रियंका सौरभ
Divorce: आजकल तलाक के बढ़ते मामलों ने समाज में एक नई चिंता को जन्म दिया है। चाहे अरेंज मैरिज हो या प्रेम विवाह, रिश्तों में दूरियाँ बढ़ने से वैवाहिक जीवन अस्थिर होता जा रहा है। तलाक सिर्फ़ दो लोगों को ही नहीं, बल्कि उनके परिवार, बच्चों और समाज को भी प्रभावित करता है। इसलिए, इसे रोकने के लिए कुछ ठोस क़दम उठाने ज़रूरी हैं। तलाक कोई हल नहीं है, बल्कि यह आखिरी विकल्प होना चाहिए।
रिश्ते को मज़बूत और खुशहाल बनाने के लिए आपसी सम्मान, संवाद, धैर्य और प्रेम ज़रूरी हैं। यदि पति-पत्नी एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें और रिश्ते में संतुलन बनाए रखें, तो तलाक की दर को कम किया जा सकता है।
प्रेम विवाह में दर अधिक
प्रेम विवाह में तलाक की दर अधिक होने का कारण ग़लत अपेक्षाएं, कम सहनशीलता, पारिवारिक समर्थन की कमी और संवाद की कमी है। लेकिन सही समझदारी और परिपक्वता से इसे रोका जा सकता है। शादी सिर्फ़ प्यार से नहीं, बल्कि विश्वास, धैर्य और आपसी सहयोग से सफल होती है। आज के दौर में प्रेम विवाह का प्रचलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही तलाक की दर भी बढ़ती जा रही है। जहां प्रेम विवाह को प्रेम, स्वतंत्रता और आपसी समझ का प्रतीक माना जाता था, वहीं तलाक के बढ़ते मामलों ने इस धारणा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह भी पढ़ें- Pamban Bridge: पीएम मोदी आज तमिलनाडु में नए पंबन ब्रिज का करेंगे उद्घाटन, जानें इसकी खासियतें
शादी का अर्थ
शादी सिर्फ़ दो लोगों का साथ नहीं, बल्कि उनके सपनों, उम्मीदों और भावनाओं का एक संगम होती है। जब दो लोग प्रेम विवाह करते हैं, तो वे भविष्य के कई सुनहरे सपने बुनते हैं-साथ मिलकर जीने के, खुशियां बांटने के और एक खूबसूरत सफ़र तय करने के। लेकिन जब यह सफ़र तलाक की कगार पर पहुंचता है, तो सबसे पहले कुचले जाते हैं ‘तेरे-मेरे सपने’। शादी से पहले जो जोश, उत्साह और अपनापन होता है, वह धीरे-धीरे कई कारणों से फीका पड़ने लगता है। छोटी-छोटी गलतफहमियाँ, अहंकार की दीवारें और बदलती प्राथमिकताएं उन सपनों को मिटाने लगती हैं, जिन्हें कभी दोनों ने मिलकर संजोया था।
यह भी पढ़ें- Waqf Bill: योगी सरकार का एक्शन, कट्टरपंथियों की बढ़ी टेंशन!
कमजोर पड़ते रिश्ते
शादी से पहले एक-दूसरे के लिए जो सपने देखे जाते हैं, वे हक़ीक़त की ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दबने लगते हैं। जब सपनों की दिशा अलग-अलग हो जाती है, तो रिश्ते कमजोर पड़ने लगते हैं। प्रेम सम्बंध में अक्सर लोग अपने साथी को एक आदर्श रूप में देखते हैं, लेकिन शादी के बाद जब वास्तविकता सामने आती है, तो असंतोष उत्पन्न हो सकता है। एक सफल विवाह के लिए संवाद बहुत ज़रूरी होता है। यदि जीवनसाथी एक-दूसरे की बातों को समझने और सुनने में असमर्थ होते हैं, तो रिश्ते में दरार आ सकती है। कई बार शादी के बाद आर्थिक दबाव और ज़िम्मेदारियों को निभाने में कठिनाइयां आने लगती हैं, जिससे मतभेद बढ़ सकते हैं।
यह भी पढ़ें- Ram Lalla Surya Tilak: अयोध्या में रामलला का किया गया सूर्य तिलक, श्रद्धालु कर रहे हैं दर्शन
सोच का मेल न खाना बड़ा कारण
प्रेम विवाह में कई बार परिवार और समाज का विरोध झेलना पड़ता है। यदि दंपति मानसिक रूप से मज़बूत नहीं होते, तो यह तनाव उनके रिश्ते को प्रभावित कर सकता है। यदि किसी एक साथी का व्यवहार संदेहास्पद होता है या अविश्वास उत्पन्न होने लगता है, तो यह तलाक का कारण बन सकता है। शादी के बाद जब दोनों व्यक्तियों की प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं और यदि उनकी सोच मेल नहीं खाती, तो रिश्ते में तनाव आ सकता है। आधुनिक समय में करियर को प्राथमिकता देने से वैवाहिक जीवन पर असर पड़ सकता है। कई बार साथी एक-दूसरे की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करने लगते हैं, जिससे मतभेद बढ़ते हैं। आत्मसम्मान और अहंकार की लड़ाई शुरू हो जाती है। कौन ज़्यादा सही है? यह सवाल रिश्ते को भीतर से खोखला करने लगता है और सपने टूटने लगते हैं।
यह भी पढ़ें- UP News: साहिबाबाद में दो फैक्ट्रियों में लगी भीषण आग, दमकल विभाग ने कई घंटों में पाया आग पर काबू
समझदारी से चुने जीवनसाथी
केवल प्रेम ही नहीं, बल्कि समान विचारधारा, पारिवारिक पृष्ठभूमि, करियर लक्ष्य और जीवनशैली को ध्यान में रखकर जीवनसाथी का चुनाव करें। हर समस्या पर खुलकर बात करें और अपने साथी की भावनाओं को समझने का प्रयास करें। शादी से पहले और बाद में एक-दूसरे से व्यावहारिक अपेक्षाएं रखें और उन्हें पूरा करने का प्रयास करें। किसी भी रिश्ते की नींव विश्वास होती है। अपने साथी के प्रति निष्ठावान रहें और पारदर्शिता बनाए रखें। हर रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते हैं। किसी भी समस्या का समाधान जल्दबाज़ी में न निकालें, बल्कि धैर्यपूर्वक विचार करें। कभी-कभी परिवार और करीबी दोस्तों से सलाह लेना भी रिश्ते को मज़बूत करने में मदद कर सकता है।
यह भी पढ़ें- Pamban Bridge: पीएम मोदी ने तमिलनाडु को दी सौगात, पंबन ब्रिज का किया उद्घाटन; जानें इसकी खासियतें
काउंसलर से लें मार्गदर्शन
यदि रिश्ते में समस्याएं बढ़ रही हैं, तो विवाह विशेषज्ञ या काउंसलर से मार्गदर्शन लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। शादी के बाद भी एक-दूसरे के सपनों को समझें और उन्हें साथ मिलकर पूरा करने का प्रयास करें। हर छोटी-बड़ी बात पर चर्चा करें, अपने साथी की भावनाओं को समझें और अपनी बात को सही तरीके से सामने रखें। शादी के बाद ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सपनों का त्याग कर दिया जाए। एक-दूसरे को सहयोग दें ताकि व्यक्तिगत इच्छाएँ पूरी हो सकें। जब रिश्ते में अहंकार आ जाता है, तो प्रेम कम होने लगता है। इसलिए हर स्थिति में प्रेम को प्राथमिकता दें। अगर लगने लगे कि रिश्ता बोझ बन रहा है, तो कुछ समय साथ बिताएं, घूमने जाएं, पुरानी यादों को ताज़ा करें और रिश्ते को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश करें।
तलाक समाधान नहीं!
प्रेम विवाह में तलाक की बढ़ती दर चिंताजनक है, लेकिन इसे रोका जा सकता है यदि दंपति आपसी समझ, विश्वास और धैर्य बनाए रखें। शादी सिर्फ़ प्रेम पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें सम्मान, जिम्मेदारी और परिपक्वता का होना भी ज़रूरी है। सही सोच और व्यवहार अपनाकर प्रेम विवाह को सफल और खुशहाल बनाया जा सकता है। तलाक सिर्फ़ कानूनी अलगाव नहीं होता, यह उन सपनों की मौत भी होती है जो कभी दो लोगों ने मिलकर देखे थे। रिश्तों को बचाने के लिए ज़रूरी है कि प्रेम, विश्वास और समझदारी को बनाए रखा जाए। क्योंकि अगर ‘तेरे-मेरे सपने’ बिखर गए, तो सिर्फ़ दो दिल नहीं टूटेंगे, बल्कि दो ज़िंदगियाँ भी अधूरी रह जाएंगी। प्रेम विवाह में तलाक की दर अधिक होने का कारण ग़लत अपेक्षाएँ, कम सहनशीलता, पारिवारिक समर्थन की कमी और संवाद की कमी है। लेकिन सही समझदारी और परिपक्वता से इसे रोका जा सकता है। शादी सिर्फ़ प्यार से नहीं, बल्कि विश्वास, धैर्य और आपसी सहयोग से सफल होती है।
यह वीडियो भी देखें-
Join Our WhatsApp Community