Budget Session: भास्कर जाधव का टूट गया सपना, आठ दिन में जैकेट पहनी और उतार दी! जानिये क्या है खबर

शिवसेना यूबीटी विधायक भास्कर जाधव ने जैसे ही एमवीए द्वारा विरोधी पद के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई, उन्होंने जैकेट पहनना शुरू कर दिया, हालांकि, जब उन्हें अपने सपने के टूटने के संकेत मिले तो उन्होंने जैकेट उतार दिया।

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Budget Session: महाराष्ट्र(Maharashtra) में महायुति(Mahayuti) के पहले साढ़े तीन सप्ताह के बजट सत्र में शिवसेना के उबाठा विधायक भास्कर जाधव(Shiv Sena’s UBT MLA Bhaskar Jadhav) ने विपक्ष के नेता पद(Opposition leader post) के लिए महा विकास अघाड़ी(Maha Vikas Aghadi) द्वारा अपने नाम की सिफारिश किए जाने के तुरंत बाद  जैकेट पहनना शुरू कर दिया। हालांकि, आठ दिनों के बाद विपक्ष का नेता बनने का उनका सपना टूट गया और अब समय आ गया था कि वह अपने कंधों से यह जिम्मेदारी उतार दें।

सिफ़ारिश और जैकेट
विधानसभा का सत्र 3 मार्च 2025 को शुरू हुआ था। 10 मार्च को वित्त मंत्री अजीत पवार ने विधानसभा में राज्य का बजट पेश किया और अगले ही दिन 11 मार्च को शिवसेना उबाठा ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र भेजकर विपक्ष के नेता पद के लिए भास्कर जाधव के नाम की सिफारिश की। इसके तुरंत बाद जाधव ने 12 मार्च को जैकेट पहन ली।

आखिरी दिन तक जिद पर अड़े रहे
विपक्षी दल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना उबाठा विधायक मांग कर रहे थे कि विधानसभा में किसी भी मुद्दे पर चर्चा के दौरान जब भी अवसर आए, सत्ताधारी पार्टी को विपक्ष का नेता चुनना चाहिए। सत्र के अंतिम दिन भी विपक्षी पार्टी के नेताओं ने विरोधी नेता के चुनाव पर जोर दिया।

अन्य नाम उपलब्ध कराने की बात कही
उत्तेजित अवस्था में भास्कर जाधव ने कहा कि यदि उनके नाम पर विरोध हुआ तो वे उद्धव ठाकरे और महा विकास अघाड़ी के अन्य नेताओं से अनुरोध करेंगे कि वे किसी अन्य नाम से पत्र उपलब्ध कराएं। भास्कर जाधव ने कहा, “ऐसा मत सोचिए कि अगर आप भास्कर जाधव को नहीं चाहते तो आप विपक्ष के नेता भी नहीं चाहते। पद भगवान नहीं है, मैंने कभी पद की लालसा नहीं की।” उन्होंने याद दिलाया कि राज्य में पहले भी विपक्ष के विधायकों की संख्या कम होने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाता रहा है। इसके बाद भी, जैसा कि यह अनुमान लगाया गया था कि उन्हें विपक्ष के नेता का पद नहीं मिलेगा।

कारण क्या है?
महाविकास अघाड़ी चाहे जो कहे, लेकिन कहा यही जाता है कि किसी पार्टी के 10 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का नियम तभी बना था, जब 1952 में पहले आम चुनाव के बाद लोकसभा का गठन हुआ था। तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जी.वी. मावलंकर ने निर्णय लिया था कि विपक्ष का नेता बनने के लिए किसी पार्टी को 10 प्रतिशत सीटों की आवश्यकता होगी। समझा जाता है कि इसी आधार पर 2014 में राहुल गांधी को विपक्ष के नेता का पद देने से मना कर दिया गया था।

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अब मानसून सत्र पर नजर
इसी तर्ज पर राज्य में विपक्ष के नेता का पद दिए जाने को लेकर भी संशय व्यक्त किया जा रहा है। जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से विपक्ष के नेता के पद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह विधानसभा अध्यक्ष का अधिकार है। इसलिए, कम से कम इस सत्र में विपक्षी दल को कोई संवैधानिक नेता नहीं मिला। इसके बाद 30 जून 2025 से मुंबई में मानसून सत्र शुरू होगा। अब सबकी नजर इस बात पर है कि उस सत्र में विपक्ष को कोई नेता मिलेगा या नहीं।

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