लालपरी यानी एसटी महाराष्ट्र की शान है लेकिन सरकार ने इन लालपरी को दौड़ाने वाले कर्मचारियों को हमेशा से नजरअंदाज किया है। सबसे चिंता की बात तो यह है कि इन्हें समय पर वेतन तक नहीं मिलता। इसके लिए कई बार इन्हें आंदोलन तक करना पड़ता है।
इन परेशानियों के बावजूद कोरोना जैसे संकट काल में भी ये अपनी जान की परवाह किए बिना एसटी सड़कों पर दौड़ाते रहे। लोगों की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहने वाले ये कर्मचारी कोरोना संकट में भी अपना गांव छोड़कर शहर आ गए। इसका खमियाजा कई कर्मचारियों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।
245 एसटी कर्मियों
अब तक कोरोना काल में ड्यूटी पर तैनात 245 एसटी कर्मियों की कोरोना से मौत हो चुकी है। लेकिन उनकी मौत की न तो एसटी बोर्ड ने जिम्मेदारी ली और न ही राज्य सरकार ने। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि 245 एसटी में से केवल 11 कर्मचारियों के परिजनों को अब तक 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिली है, बाकी लोग अभी भी सहायता से वंचित हैं।
न वित्तीय सहायता और न ही नौकरी
एक ओर जहां अधिकांश कर्मचारियों को वित्तीय लाभ नहीं मिला, वहीं उनके वारिसों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी भी नहीं मिली है। प्रदेश के कई हिस्सों में अनुकंपा आधारित नौकरियों के लिए पहले से ही लंबी प्रतीक्षा सूची है और अब कोरोना से मरने वाले कर्मचारियों के वारिसों को ऐसी स्थिति में अनुकंपा वाली नौकरी नहीं मिल सकती है। इसलिए एसटी संगठन अब मांग कर रहा है कि अनुकंपा के आधार पर वर्तमान में प्रतीक्षा सूची में शामिल सभी कर्मचारियों के वारिसों के साथ-साथ जिनकी हाल ही में कोरोना के कारण मृत्यु हुई है, उन्हें नियम और शर्तों में बदलाव करके अलग से नौकरी दी जाए।
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परिवहन मंत्री को लिखा पत्र
महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस महासचिव श्रीरंग बरगे ने परिवहन मंत्री अनिल परब को पत्र लिखकर कोरोना से मारे गए कर्मचारियों के परिजनों को तत्काल मदद देने मांग की है। उन्होंने एसटी महामंडल द्वारा जारी सर्कुलर में चिंताजनक स्थितियों की ओर भी इशारा किया है। सर्कुलर में कहा गया है कि यात्रियों के सीधे संपर्क में आने वाले चालक-वाहक, स्टेशन पर काम करने वाले ट्रैफिक कंट्रोलर और सुरक्षा गार्ड भी सहायता के पात्र होने चाहिए।
कर्मचारियों का परिवार प्रभावित
मान लीजिए, एक एसटी ड्राइवर ड्यूटी के दौरान कोरोना की चपेट में आ गया। उसके बाद उसका भाई भी उसके देखने और सेवा करने के लिए अस्पताल गया। इस क्रम मे वह भी कोरोना संक्रमित हो गया । एक महीने के भीतर ही दोनों की मौत कोरोना से हो गई। उनके परिवार में दो महिलाएं और चार बच्चे हैं। अब उनके घर में काम करने वाला कोई नहीं है और पूरा परिवार संकट में है। साथ ही, कुछ कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो गए,और बाद में उबरने के कुछ दिनों बाद अन्य कोरोना संबंधित रोग से उनकी मृत्यु हो गई। ऐसे में वे सरकारी आदेश के अनुसार वित्तीय लाभ के लिए पात्र नहीं हैं। ऐसी कई समस्याओं के कारण कर्मचारी वित्तीय लाभ से वंचित हैं। महामंडल संगठन ने इन सभी मुद्दों पर परिवहन मंत्री का ध्यान आकर्षित किया है।