केंद्र और महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार के बीच पिछले एक साल से विवाद चल रहा है, और अब केंद्र द्वारा फेंकी गई गुगली भविष्य में ठाकरे सरकार पर भारी पड़ सकती है। राज्य सरकार और उसके कई नेता पहले से ही सीबीआई और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। अब ठाकरे सरकार से नाराज वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का प्रमुख बनाया गया है। इस कारण भविष्य में उद्धव सरकार की परेशानी बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
अनिल देशमुख की सीबीआई जांच
सीबीआई वर्तमान में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के लेटर बम से जुड़े 100 करोड़ रुपये की वसूली के मामले की जांच कर रही है। इस मामले में पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख सीबीआई के रडार पर हैं। कुछ दिन पहले सीबीआई ने इस मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला का जवाब भी दर्ज किया था। अब सीबीआई गवाह के तौर पर शुक्ला को भी बुलाएगी। सुबोध कुमार जायसवाल के नए सीबीआई प्रमुख बनाए जाने के बाद देशमुख का सिरदर्द बढ़ गया है। सीबीआई ने अब तक अनिल देशमुख, उनके दो पीए संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे के बयान दर्ज किए हैं, जबकि बर्खास्त पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे और उनके दो ड्राइवरों सहित कई अन्य लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं।
राज्य सरकार की दलील
राज्य सरकार का आरोप है कि पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की प्रारंभिक जांच के बाद दर्ज प्राथमिकी में सीबीआई ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कानूनी कार्रवाई शुरू की है। सरकार ने 21 मई को मुंबई उच्च न्यायालय में आरोप लगाया कि सीबीआई सोची-समझी रणनीति के तहत राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है।
सीबीआई के पास ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में ट्रांसफर के पेपर भी हैं?
कुछ दिन पहले भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया ने परिवहन विभाग में घोटाले का आरोप लगाते हुए प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और सीबीआई से शिकायत की थी। सोमैया ने दावा किया था कि परिवहन विभाग में भी एक सचिन वाझे था। वह कुछ अधिकारियों के लिए वसूली का काम करता था। सोमैया ने संकेत दिया था कि बजरंग खरमाटे परिवहन विभाग का सचिन वाझे था। सोमैया ने यह भी दावा किया था कि उन्हें परिवहन विभाग में ट्रांसफर रैकेट की शिकायत मिली थी। इसमें ट्रांसफर के लिए 25-50 लाख से एक करोड़ तक लिया जाता था।
उन्होंने राज्यपाल और सीबीआई से मामले की जांच की मांग की थी।
ये भी पढ़ेंः परेशानी के बावजूद भारत ने निभाई मित्रता! कोरोना से तबाह नेपाल की ऐसे की मदद
सीबीआई ने शुरू की जांच
सीबीआई ने सोमैया की मांग पर जांच भी शुरू कर दी है। पता चला है कि कुछ दस्तावेज भी सीबीआई के हाथ लगे हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में अनिल परब भी देशमुख की तरह सीबीआई के रडार पर होंगे। अब जब जायसवाल सीबीआई के मुखिया बन गए हैं, तब मातोश्री के करीबी अनिल परब का सिरदर्द भी भविष्य में और बढ़ता दिख रहा है।
महाराष्ट्र और मुंबई के नस-नस से वाकिफ
बता दें कि सुबोध कुमार जायसवाल पहले महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक और मुंबई के पुलिस के आयुक्त थे। नतीजतन, वह महाराष्ट्र पुलिस विभाग के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। इसके अलावा वे महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थितियों और नेताओं से भी वाकिफ हैं। ठाकरे सरकार के कुछ मंत्रियों व नेताओं को अब इस बात की चिंता सता रही है कि केंद्र जायसवाल के जरिए उनकी परेशानी बढ़ा सकता है।
पहले से ही विवाद
सुबोध कुमार जायसवाल केंद्रीय विभाग में थे। उसके बाद वे मुंबई आ गए। वे तीन साल पहले मुंबई के पुलिस कमिश्नर थे। बाद में उनकी पदोन्नति हुई और वे राज्य के पुलिस महानिदेशक बने। सरकार और सुबोध कुमार जायसवाल के बीच काफी दिनों तक विवाद चल रहा था। उस समय जब उनसे सलाह लिए बिना पुलिस का तबादला किया था, तब जायसवाल ने कसम खाई थी कि वे ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने उस ट्रांसफर पेपर पर साइन करने से मना कर दिया था। इसके बाद उन्होंने एक बार फिर केंद्र में जाने का फैसला किया था।