मुंबई महानगर पालिका ने शहर के लोकमान्य तिलक अस्पताल के पुनर्निर्माण के लिए निविदा आमंत्रित की थी। लेकिन निविदा तय सीमा से ज्यादा की होने के कारण रद्द कर दी गई। इसके बाद दूसरी निविदा मंगाई गई। यह निविदा पहले की निविदा से भी ज्यादा महंगी साबित हुई जिसे मनपा ने स्वीकार भी कर लिया। दूसरी निविदा प्रक्रिया में एक ही कंपनी ने निविदा भरी थी और उसे ही 6 महीने में दूसरी बार वही ठेका मिला साथ ही बगैर काम किये 50 करोड़ रुपए के निविदा बोनस के साथ। इस प्रक्रिया को लेकर अब सवाल उठ रहा है कि निविदा प्रक्रिया भले ही पारदर्शिता के लिए लाई गई थी लेकिन इससे जो परिस्थिति बन रही है वो यह है कि निविदा प्रणाली भले ही अच्छी हो लेकिन इसको संचालित करनेवाला सिस्टम बीमार है। अब आरोप लग रहा है कि इसके कारण मनपा में जनता की गाढ़ी कमाई की बंदरबांट हो रही है।
मुंबई महानगर पालिका विश्व की उन चुनिंदा मनपा में से है जो आपने शहर, उसमें रहनेवाले इंसान, प्राणी सभी के लिए सेवाएं संचालित करती है। लेकिन इस मनपा का सिस्टम भी अब बीमार हो गया है। कर के रूप में जमा किया जानेवाला शहरी लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा ठेकेदारी में कैसे बढ़कर चला जाता है इसका एक जीवंत प्रमाण प्रस्तुत है।
लोकमान्य तिलक सर्वसाधारण अस्पताल के पुनर्निर्माण में दूसरी निविदा को पास कर दिया है। जानकारों के अनुसार प्रशासन आंकड़ों पर खेल रहा है। पहली निविदा में जहां अनुमानित लागत से ज्यादा की बोली आने पर प्रशासन ने बोली ही रद्द कर दी वहीं दूसरी निविदा को पहली निविदा से 50 करोड़ रुपए की ज्यादा लागत पर इसे मंजूर कर दिया। इसे मनपा में विरोधी पक्ष नेता रवी राजा और समाजवादी पार्टी के रईस शेख नियमों का उल्लंघन बताया है।