चक्रवात यास से हुई क्षति को लेकर प्रधानमंत्री की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के न आने का राज सामने आया है। राज्यपाल ने इस बैठक के पहले उनकी और मुख्यमंत्री के बीच वार्ता का उल्लेख किया है। जिसमें वह कारण भी बताया है जिसके कारण मुख्यमंत्री और उनके अधिकारी इस बैठक से दूर रहे। इससे प्रश्न खड़ा होता है कि तो क्या ममता बनर्जी झूठ बोल रही थीं?
केंद्र सरकार और ममता बनर्जी के बीत तनातनी अब धीरे-धीरे पुरानी होती जा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री के राज्य में आने और बैठक लेने के समय मुख्यमंत्री और उनके अधिकारियों की अनुपस्थिति से नवाचार के भंग होने का मुद्दा खड़ा हो गया था। इस मुद्दे पर ममता बनर्जी ने पीएम के कलाइकुंडा से लौटने के बाद ही दावा किया था कि, उन्हें प्रधानमंत्री की बैठक की जानकारी ही नहीं थी, इसलिए वे कलाइकुंडा में प्रधानमंत्री से मिलकर चली आईं।
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राज्यपाल ने किया खुलासा
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने प्रधानमंत्री के पश्चिम बंगाल में हुए दौरे पर जानकारी दी है। जिसमें उन्होंने बताया कि, एक गलत प्रचार किया जा रहा है। 27 मई को रात 2316 बजे सीएम का एक संदेश आया, क्या मैं बात कर सकती हूं? अत्यावश्यक है।
इसके बाद फोन पर संकेत दिया गया कि, यदि नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी इसमें शामिल होते हैं तो वे और उनके अधिकारी प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक का बहिष्कार कर सकते हैं।
जनसेवा पर अंहाकर व्याप्त है
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प्रधानमंत्री कार्यालय के महत्व को कुचला और अपमान किया जा रहा है, 28 मई भारत के सहकारी संघवाद के लिए काला दिन के रूप में गिना जाएगा।
प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में लोकतंत्र को खंडित किया गया।
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प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके अधिकारियों द्वारा सभी संवैधानिक सिद्धांतों को छिन्न भिन्न किया गया
लोकतंत्र इन असंवैधानिक घटनाओं से संकट में है
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पैर भी छूने को तैयार
प्रधानमंत्री के दौरे के बाद ममता बनर्जी ने कई सारे दावे किये थे, जिसमें यह कहा गया था कि राज्य की भलाई के लिए वे पैर भी छूने को तैयार हैं। लेकिन जिस प्रकार से प्रधानमंत्री से बैठक की जानकारी न होने का दावा ममता बनर्जी ने किया वह प्रधानमंत्री के दौरे में असंभव ही है।
पूर्व मुख्य सचिव को कारण बताओ
इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समर्थन से तीन महीने का सेवा विस्तार पानेवाले मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र के कार्मिक विभाग से नोटिस जारी हुई है। इसमें उन्हें दी गई समय सीमा में कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के पास रिपोर्ट न करने के लिए नोटिस दी गई है। इस मुद्दे पर केंद्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग अब उन पर आरोप पत्र जारी कर सकता है।