महाविकास आघाड़ी सरकार में मंत्रियों के विवादों में संलिप्तता का क्रम जारी है। इस बार सरकार के सबसे खास मंत्री के नाम पर विवाद उठा है। आरोप भी संगीन हैं। एक ओर परिवहन विभाग के कर्मियों के स्थानांतरण का मुद्दा है तो दूसरी ओर अवैध रिसॉर्ट का मुद्दा गंभीर रूप ले सकता है।
सुनने मे आया है कि मातोश्री के सबसे विश्वसनीय मंत्री को अब थोड़ी दूरी बनाकर रखने का कहा गया है। इसीलिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यक्रमों में भी उनकी उपस्थिति को टाला जा रहा है। इसके पहले महाविकास आघाड़ी के दो मंत्रियों का विकेट गंभीर आरोपों के चलते गिर चुका है। पहले शिवसेना के मंत्री संजय राठोड को त्यागपत्र देना पड़ा, तो सौ करोड़ रुपए की धन उगाही में अनिल देशमुख को भी पद छोड़ना पड़ा, अब भ्रष्टाचार के आरोप अनिल परब पर लग रहे हैं।
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आरोप अनिल पर निशाने पर मातोश्री
अनिल परब का नाम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबियों में गिना जाता है। उनके मत मातोश्री में लिये जाते रहे हैं, ऐसे में अब जब भ्रष्टाचार के आरोप में वे फंस रहे हैं तो निशाने पर मातोश्री है। इसको देखते हुए अब अनिल परब को मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों से दूर रखा जा रहा है।
मेट्रो 2 अ और मेट्रो 7 के पहले टेस्ट ड्राइव की शुरुआत सोमवार को हुई, इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री उद्ध ठाकरे के हाथों संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में परिवहन मंत्री अनिल परब आमंत्रित नहीं थे। जिसके कारण राजनीतिक गलियारे में विभिन्न चर्चाएं चल रही हैं। हालांकि, मेट्रो की निमंत्रण पत्रिका में अनिल परब का नाम था। इस विषय में सरकार से जुड़े कुछ लोगों से चर्चा की गई तो उन्होंने अनौपचारिक रूप से बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से ही उन्हें कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति टालने को कहा है।
अनिल परब के विरुद्ध 300 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है, इसको लेकर सीधा मातोश्री पर उंगली उठाई जा रही है। इसके अलावा रिसॉर्ट का मुद्दा भी गरमा रहा है। इस विषय में भाजपा नेता किरिट सोमैया ने राज्यपाल भगत सिंग कोश्यारी के पास शिकायत पत्र भी सौंपा है। जिसकी जांच के लिए लोकायुक्त को राज्यपाल ने आदेश दिया है। इस परिस्थिति में यदि अनिल परब कार्यक्रमों मे मंच साझा करते हैं तो सवाल खड़े होंगे जिनका उत्तर मुख्यमंत्री को देना पड़ेगा।
एक गुट हुआ सक्रिय
अनिल परब पर भ्रष्टाचार का आरोप लगते ही उनके विरुद्ध महाविकास आघाड़ी सरकार का एक गुट सक्रिय हो गया है। यह गुट पहले से ही अनिल परब के विरोध में था, इसके पहले भी अनिल देशमुख के गृहमंत्रित्व काल में अनिल परब पर गृह मंत्रालय में दखलंदाजी करने का आरोप लगता रहा है। अब जब अनिल परब के विरोध में आरोप हो रहे हैं तो यह गुट सक्रिय हो गया है। इस संदर्भ में हिंदुस्थान पोस्ट ने पहले भी खबर दी थी।
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ये हैं परब पर हुए आरोप
- अनिल परब पर सबसे पहले धन उगाही का आरोप लगा था। एनआईए की हिरासत से बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाझे ने जांच एजेंसी को पत्र लिखा था। जिसमें तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख के साथ परिवहन मंत्री अनिल परब पर धन उगाही का आरोप लगाया था।
- अनिल परब ने लॉकडाउन काल में कृषि जमीन पर रिसॉर्ट खड़ा किया है। यह निर्माण अवैध है। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता किरिट सोमैया ने स्थानीय प्रशासन और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से शिकायत की है। जिसकी जांच लोकायुक्त के पास राज्यपाल ने भेज दी है।
- राज्य परिहवन विभाग के निलंबित अधिकारी गजेंद्र पाटील ने पदोन्नति और स्थानांतरण के मुद्दे पर नासिक पुलिस थाने में पत्र लिखकर एफआईआर पंजीकृत करने की मांग की है। इस पत्र को संज्ञान में लेते हुए पुलिस आयुक्त दीपक पाण्डे ने उपायुक्त के अंतर्गत टीम गठित करके जांच करने का आदेश दे दिया है।