दिल्ली उच्च न्यायालय ने 3 जून को योग गुरु बाबा रामदेव को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर मुकदमे के आधार पर भेजा गया है। हालांकि न्यायालय ने डॉक्टरों के उस अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने बाबा रामदेव को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से बयान देने या प्रकाशित करने पर रोक लगाने की मांग की थी।
डॉक्टरों के इस संगठन ने रामदेव पर उनके बयान के लिए एक रुपए का सांकेतिक नुकसान और बिना शर्त माफी मांगने की भी मांग की थी। न्यायालय ने डॉक्टरों को मुकदमे के बदले याचिका दायर करने का निर्देश दिया।
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न्यायालय ने दी सलाह
इस मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से गरमागरम बहस हुई। इस पर न्यायालय ने डीएमए से कहा कि आपलोगों को न्यायालय का समय बर्बाद करने की बजाय महामारी का इलाज करने में समय बिताना चाहिए।
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डीएमए ने जताई आपत्ति
डीएमए ने न्यायालय की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि रामदेव की टिप्पणी डीएमए के सदस्यों का मनोबल गिरा रही है। वे डॉक्टरों को नाम लेकर बुला रहे हैं। वे कह रहे हैं कि एलोपैथी नकली है। रामदेव जीरो प्रतिशत मृत्यु दर के साथ कोरोना के इलाज के रुप में कोरोनोनिल का झूठा प्रचार कर रहे हैं। यहां तक कि सरकार ने इसका विज्ञापन करने पर रोक लगा रखी है। इसके बावजूद उन्होंने 250 करोड़ रुपए का कोरोनिल बेच दिया।