महाराष्ट्र में अनलॉक कांड को लेकर विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार में एक मुख्यमंत्री और पांच सुपर मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री की ओर से कोई बयान नहीं आया कि उन्हें लॉकडाउन पर क्या कहना चाहिए और उनके पांच मंत्री इस बारे में मीडिया में बोल रहे हैं। राज्य में एक मुख्यमंत्री और पांच सुपर मुख्यमंत्री हैं। हर मंत्री घोषणा करता है और फिर मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की जाती है। हर कोई श्रेय लेने की कोशिश कर रहा है। फडणवीस ने उद्धव सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अगर आप काम करते हैं तभी आपको उसका श्रेय लेना चाहिए।
मंत्रियों को अनुशासन में रहने की जरुरत
मुख्यमंत्री को अपने मंत्रियों को अनुशासित रखना चाहिए। यह सलाह देते हुए फडणवीस ने मांग की है कि अभिव्यक्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए, लेकिन कम से कम सरकार के नीतिगत निर्णयों को स्पष्ट और सीधे तौर पर लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए। भ्रम इतना बढ़ गया है कि कई लोगों ने फोन करके मुझसे पूछा कि क्या लॉकडाउन हट गया है। इसका जवाब मेरे पास भी नहीं था। लॉकडाउन ने लोगों में भ्रम और निराशा पैदा कर दी है। इसलिए 3 जून की घोषणा के बाद लोगों को लगा कि लॉकडाउन हटा लिया गया है। छोटे दुकानदारों को लगा कि प्रतिबंध खत्म हो गए हैं। कई दुकानदार सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक धरना दे रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक दुकान खोलने की मंजूरी दी जाए। सरकार के रुख से कई लोग निराश हैं। फडणवीस ने कहा कि सरकार को इस तरह की बातों पर ध्यान देने की जरूरत है।
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पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना देर से करने का आरोप
पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना देर से करना भी सरकार की एक चाल है। फडणवीस ने यह आरोप लगाते हुए कह कि कि राज्य सरकार आरक्षण नहीं देना चाहती है। राज्य को कानून बनाने का अधिकार है। राज्य सरकार को पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी देनी चाहिए और इसे केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजना चाहिए। यह सरकार,’लोगों को समझा नहीं सकते तो अराजकता पैदा करो’ के सिद्धांत पर चलती है। फडणवीस ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि आयोग का गठन समय पर नहीं हुआ।