पूर्वी लद्दाखः सीना ताने खड़े हैं हमारे सैनिक! अपने पस्त जवानों के लिए चीन ने उठाया ये कदम

पूर्वी लद्दाख की चोटियों पर ठंड में चीनी सेना के जवानों की कंपकंपी छूट रही है। इसलिए चीन ने वहां के सैनिकों को वापस बुलाकर अंदर के इलाके के अन्य सैनिकों को स्थानांतरित किया है।

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पूर्वी लद्दाख में जहां हमारे सैनिक सीना ताने चीन की हर गतिविधियों का जवाब देने के लिए खड़े हैं, वहीं चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के जवान पस्त नजर आ रहे हैं। यहां की चोटियों पर कंपकंपाती ठंड में उनकी कंपकंपी छूट रही है। इसलिए चीन ने वहां तैनात सैनिकों को वापस बुलाकर अंदर के इलाके के अन्य सैनिकों को स्थानांतरित किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चीन ने अपने 90 प्रतिशत जवानों को वापस बुलाकर उनकी जगह नए जवानों को पूर्वी लद्दाख में तैनात किया है।

50 हजार चीनी जवान तैनात
2020 के अप्रैल-मई से ही चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के पास करीब 50 हजार से अधिक सैनिकों को तैनात कर रखा है। हालांकि समझौते के बाद पैंगोंग लेक के आसपास से दोनों ही देशों की सेनाओं को वापस बुला लिया गया है, लेकिन उसके आगे के क्षेत्रों में अभी भी बड़े पैमाने पर जवानों को तैनात किया गया है।

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एक साल से तैनात थे चीनी जवान
बता दें कि चीन के ये सैनिक पिछले एक साल से पूर्वी लद्दाख में तैनात थे। अब उन्हें वापस बुलाकर उनकी जगह दूसरे सैनिकों को तैनात किया गया है। ये सैनिक रोटेशन में भेजे गए हैं। इसका कारण लद्दाख की चोटियों पर पड़ रही कड़ाके की ठंड है। मिली जानकारी के अनुसार पैंगोंग लेक वाले इलाके में फ्रिक्शन पॉइंट पर तैनाती के दौरान भी चीनी जवानों को ऊंचाई वाले चौकियों पर लगभग डेली बैसीस पर बदला जा रहा था और उनकी आवाजाही काफी कम हो गई थी।

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भारतीय जवानों की दो साल के लिए होती है तैनाती
भारतीय सेना दो साल के कार्यकाल के लिए ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपने सैनिकों को तैनात करती है और हर साल करीब 40-50 प्रतिशत सैनिकों की अदलाबदली की जाती है। बता दें कि पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा के पास (एलएसी) के पास 15 जून 2020 को दोनों देशों के जवानों के बीच हुई खूनी झड़प के बाद से ही इन क्षेत्रों के साथ ही दोनों देशों के रिश्तों में भी तनाव बना हुआ है। हालांकि दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन चीन कई बार समझौता हो जाने के बावजूद अपनी बातों से मुकरता रहा है।

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