सत्ता में हिस्सेदार कांग्रेस का मन अब महामंडल में नियुक्ति को लेकर डोलने लगा है। राज्य सरकार के गठन को डेढ़ वर्ष से अधिक काल हो गए हैं, लेकिन महामंडल के अध्यक्षों का पद रिक्त पड़ा हुआ है। इस संदर्भ में कांग्रेस ने पहल करते हुए महाविकास आघाड़ी सरकार के मार्गदर्शक शरद पवार से बालासाहेब थोरात ने भेंट की।
राज्य में महामंडल का अध्यक्ष पद मंत्री के स्तर का होता है। इसके माध्यम से सत्ताधारी पार्टियां अपने नेताओं को सेट करके राजनीतिक समीकरण साध्य करती हैं। महाविकास आघाड़ी सरकार के गठन को डेढ़ वर्ष बीत गए हैं। 12 नामित विधायकों की सूची राज्यपाल के दरबार में लंबित है। जबकि महामंडल के अध्यक्ष पद रिक्त पड़े हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने पहल की है इस मुद्दे को उठाकर।
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बालासाहेब बोले ‘वे’ तो मार्गदर्शक
राजस्व मंत्री और कांग्रेस के नेता बालासाहेब थोरात ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार से भेंट की। इस भेंट के बाद उन्होंने बताया कि शरद पवार हमारे मार्गदर्शक हैं। हम नियमित रूप से उनसे चर्चा करते रहते हैं। आज की भेंट भी उसी उद्देश्य से थी। राज्य स्तरीय समितियों का गठन बाकी है, उनमें कई मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं, इन पर चर्चा हुई है।
सूची तैयार पर मुहूर्त नहीं
महामंडल में नियुक्तियों को लेकर सत्ताधारी तीनों दलों की सूची तैयार है। परंतु इसे तय करने के लिए मुहूर्त ही नहीं मिल रहा है। कोरोना महामारी के कारण भी यह नियुक्तियां टलती रही हैं। लेकिन अब इन रिक्त पड़े महामंडल के पदों पर तत्काल नियुक्ति हो इसकी मांग कांग्रेस कर रही है। राज्य में सिंचाई महामंडल-विदर्भ, कृष्णा खोरे महामंडल, म्हाडा, सिडको और देवस्थानों के अध्यक्ष पदों पर नियुक्तियां होनी हैं। कांग्रेस का मत है कि जिन कार्यकर्ताओं ने सत्ता में लाने के लिए परिश्रम किया उन्हें मंडलों पर नियुक्त करके पुरस्कृत किया जा सकता है।