केंद्र की सत्ता के दिल में क्या है? यह एक बार फिर चर्चा में है। क्योंकि, जम्मू में राजनीतिक वातावरण गरमा गया है। जम्मू के लोग केंद्र सरकार से स्वतंत्र राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। इसे तब और बल मिल गया है, जब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने केंद्रीय गृह मंत्री से भेंट की।
गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल की बैठक में मुख्य सचिव अरुण मेहता, निवर्तमान मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह और विशेष पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन भी उपस्थित थे। इस बैठक के मद्देनजर जम्मू की राजनीतिक पार्टियों ने फिर अपनी पुरानी मांग को सामने रखा है। इन संस्थाओं और राजनीतिक पार्टियों ने जम्मू के लिए स्वतंत्र राज्य का दर्जा मांगा है, जबकि कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश के रूप में विभक्त करने का सुझाव भी दिया है।
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क्या कहती हैं पार्टियां?
जम्मू को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिले, उसके साथ हो रहा भेदभाव समाप्त हो, इसके लिए एक्कजुट्ट जम्मू के अध्यक्ष अंकुर शर्मा सदा प्रयत्नशील रहे हैं।
हिमालयीन क्षेत्र और सनातन भारतीय सभ्यता का इस्लामीकरण, गजवा ए हिंद के एजेंडे की पूर्ति के लिए पाकिस्तान की रणनीति है।
कश्मीर में जियोपॉलिटिकल रूप से हिंदू सशक्तिकरण करना भारत का इसके उत्तर में पहला कदम होना चाहिए। जम्मू की हिंदू डेमोग्राफी की रक्षा करना एक और कदम। कश्मीर बांटो।
अंकुर शर्मा-अध्यक्ष, इक्कजुट्ट जम्मू
Islamisation of Himalayas, Cradle of Sanatana Indic Civilsation is Pakistan's Strategic Imperative for Ghazwa-e-Hind.
Creation of a Geopolitical Hindu Foothold within Kashmir should be India's first step as response.
Protecting Jammu's Hindu Demography another. Divide Kashmir.
— Ankur Sharma (@AnkurSharma_Adv) June 8, 2021
जम्मू अलग क्यों होना चाहता है?
जम्मू हिंदू बाहुल्य और शांत क्षेत्र है। परंतु, यहां की राजनीतिक पार्टियां और संस्थाएं सदा कश्मीर के नाम पर जम्मू के साथ भेदभाव का आरोप लगाती रही हैं। ये तथ्यहीन है ऐसा भी नहीं है, इसके उदाहरण भी हैं।
♦कोविड 19 रोगियों के लिए भेजे गए ऑक्सीजन जेनेरेटर प्लांट को लेकर ही यह बातें सामने आई थीं। इसी प्रकार केंद्र से भेजी जानेवाली सभी सहायताएं कश्मीर को भेज दी जाती हैं जबकि जम्मू तरसता रहता है।
♦राज्य में सरकार ने दो विज्ञापनों में फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, एक्स रे टेक्नीशियन, नर्स, एनेस्थीसिया टेक्नीशियन के पदों पर नियुक्तियों के लिए आवेदन मंगाए गए थे। लेकिन डीआरडीओ के कोविड सेंटर में नियुक्ति के टर्म्स एण्ड कंडीशन में लिखा है मात्र जम्मू कश्मीर के लोग ही आवेदन करें, जबकि गवर्नमेन्ट कॉलेज श्रीनगर के लिए मात्र कश्मीर डिवीजन के लोग ही आवेदन कर सकते हैं ऐसा स्पष्ट उल्लेख किया गया था। यह विज्ञापन 20 मई, 2021 को जारी किया गया था।
♦इसके अलावा राज्य में परिसीमन का मुद्दा गंभीर है। इसके लिए 2011 की जनगणना को कश्मीरी नेताओं ने मान्यता दे दी, जबकि इस जनगणना में बहुत धांधली की गई है, इसकी बाद जम्मू के लोग ही नहीं बल्कि भाजपा नेता भी मानते हैं।
♦रौशनी एक्ट के अंतर्गत जम्मू के हिंदुओं के साथ भयंकर छल हुआ। जिसमें दस लाख कनाल भूमि पर इस्लामी ब्रदरहुड के मालिकान ने कब्जा कर लिया। इसमें बहुत सारी भूमि हिंदुओं की भी है।
♦जम्मू कश्मीर में मुस्लिम बहुसंख्य हैं, लेकिन इसके बाद भी उन्हें अल्पसंख्यकों के लाभ बराबर मिल रहे हैं। जबकि जम्मू के लोगों के हिस्से छल ही आया है।
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