मुंबई के घाटकोपर- मानखुद्र लिंक रोड के फ्लाईओवर के नामकरण को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गई है। अब मुंबई के चेंबूर जिला की विश्व हिंदू परिषद की शाखा ने चिट्ठी लिखकर इसका नाम लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे का नाम देने की मांग की है। इससे पहले शिवसेना सांसद राहुल शेवाले ने इस ब्रिज का नाम ख्वाजा गरीब नवाज के नाम पर रखने की मांग की थी।
अब इस मामले में विश्व हिंदू परिषद के कूदने से इस मामले के तूल पकड़ने के आसार हैं। जल्द ही इस मुद्दे पर भाजपा के भी हस्तक्षेप करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। दरअस्ल महााष्ट्र में बदलते राजनैतिक समीकरण ने सरकार में शामिल शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की विचारधारा को बदलने पर मजबूर कर दिया है।
शिवसेना सांसद राहुल शेवाले @shewale_rahul द्वारा घाटकोपर मानखुर्द लिंक रोड के फ्लाय ओव्हर ब्रिज को ख्वाजा गरीब नवाज का नाम देने के विरोध में @VHPDigital चेम्बूर द्वारा @OfficeofUT को चिट्ठी लिख लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे का नाम देने की मांग की गई है! @ShivsenaComms @AjitPawarSpeaks pic.twitter.com/tydU0pTUVZ
— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) June 12, 2021
ऐसे बदल रही है शिवसेना?
बता दें कि शिवसेना अपनी प्रखर हिंदुत्वादी नीतियों के कारण हमेशा चर्चा में रही है। शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने खुलकर बाबरी विध्वंस करनेवालों के शिवसैनिक होने की जिम्मेदारी स्वीकारी थी। परंतु अब सोशल इंजीनियरिंग का युग है, ठाकरे परिवार चुनावी अखाड़े में उतरकर सामना करने लगा है और साहेब के पुत्र उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं, तो पार्टी के शेवाले भी अब ख्वाजा के हवाले हो गए तो गलत क्या है?
राहुल शेवाले की मांग
बात ऐसी है कि, शिवसेना के सांसद राहुल शेवाले ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने मांग की है कि घाटकोपर-मानखुर्द लिंक रोड पर बन रहे नए पुल का नामकरण सुल्तानुल हिंद ख्वाजा गरीब नवाज (मोईनुद्दीन सूफी चिश्ती) पर किया जाए।
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जनसंख्या में अधिक इसलिए नाम दे दो…
अपने पत्र में सांसद शेवाले लिखते हैं कि, छेड़ा नगर से मानखुर्द के बीच 70 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिमों की है, इसलिए निर्माणाधीन पुल को सुल्तानुल हिंद ख्वाजा गरीब नवाज (मोईनुद्दीन सूफी चिश्ती) के नाम पर रखा जाए। उन्होंने इस संदर्भ में दो संस्थाओं के पत्रों का उल्लेख भी किया है, जिसमें ऑल इंडिया उलेमा एण्ड मशायक बोर्ड और उलेमा ए अहले सुन्नत का नाम है।