बारिश धूप-छांव का खेल चला रही है। लेकिन बूंदें कम हैं तब भी बचने के लिए छत्री तो चाहिये ही। इसलिए लोगों ने आठ महीनों से घर में दबी पड़ी छत्रियों को निकाल लिया है। इसमें से बहुत सारी छत्रियों की मरम्मत की आवश्यकता नजर आई तो लोग मरम्मत करनेवाले के पास पहुंच गए, जिसमें भाजपाई छत्री भी थी। इन छत्रियों के लिए नि:शुल्क छत्री मरम्मत सेवा शहर में चल रही है।
वैसे, महाराष्ट्र में सत्ता की बारिश महाविकास आघाड़ी को प्रफुल्लित कर रही है। वहीं, भाजपा प्रफुल्लित करनेवाली बारिश से वंचित होकर विपक्ष में बैठी है। लाख प्रयत्न हो रहे हैं पर सत्ता तो सत्ता है, जब भाजपा सत्ता विहीन है तो उसे बारिश भी कैसे सुहाएगी। इसलिए बारिश से बचने के लिए छत्री तो लगानी पड़ेगी। परंतु, नई छत्रियां ही हर साल नहीं खरीदी जा सकती बल्कि, पुरानी छत्रियों का उपयोग भी होता है। इन पुरानी छत्रियों को देखरेख और कुछ को मरम्मत की आवश्यकता भी होती है। आमजनों की बिगड़ी छत्रियों के लिए सत्ताधारी कांग्रेस ने पुणे में नि:शुल्क छत्री मरम्मत उपक्रम शुरू किया है। अब तक इस उपक्रम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने चार सौ छत्रियों की मरम्मत की है।
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…और वो भी आ गई
कांग्रेस के नि:शुल्क छत्री मरम्मत उपक्रम में बड़ी संख्या में लोग अपनी छत्रियां लेकर आ रहे हैं। रंग-बिरंगी, काली-श्वेत सभी तरह की। इस बीच कांग्रेसी छत्री मरम्मतवाले के हाथ भारतीय जनता पार्टी की बिगड़ी हुई छत्री भी आई। जिस पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद गिरिष महाजन का नाम मुद्रित था, इस छत्री पर कमल का फूल भी छपा था। कांग्रेसी हाथ ने बिगड़ी हुई कमल के फूलवाली छत्री की जांच की और ठोंकपीट, कुछ तीलियां बदलकर उसकी मरम्मत कर दी।
राजनीति को भी लगा गई कांडी
पुणे शहर कांग्रेस पार्टी द्वारा छत्री मरम्मत उपक्रम का आयोजन कार्यालय के पास किया गया था। इसकी संकल्पना प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मोहन जोशी की है। इस उपक्रम के माध्यम से सामान्य जनों की बिगड़ी हुई छत्रियों को बनाकर कांग्रेस लोगों से जनसंपर्क बढ़ाने के प्रयत्न में है। लेकिन, कांग्रेस के हाथ में भाजपा की छत्री की फोटो वायरल होते ही राजनीति भी रंग गई।
टेढ़ी कांडियों को नि:शुल्क बदलनेवाली कांग्रेस पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक अतुल भातखलकर ने तीखा तंज कसा है। वे ट्वीट में लिखते हैं, वर्तमान में दो चिल्लर (छुटभैया) दलों के नीचे रहनेवाली कांग्रेस पार्टी छोटे कार्यों का कितना प्रचार कर रही है यह देखिये… इस होर्डिंग के मूल्य में 50 छत्रियां आ जातीं…
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🤓😂😁 सध्या दोन चिल्लर पक्षांच्या छता खाली असलेला काँग्रेस पक्ष फुटकळ कामांची किती मोठी जाहिरातबाजी करतोय पाहा…
या होर्डिंग च्या किमतीत 50 नव्या छत्र्या आल्या असत्या… pic.twitter.com/gp6T8f1yeN— Atul Bhatkhalkar (@BhatkhalkarA) June 18, 2021
भाजपा गढ़ को विकास से सींच रही
पुणे में स्थानीय स्तर पर भाजपा की सत्ता है। महापौर मुरलीधर मोहोल अपने कार्यों से विकास को गति देने के सभी प्रयत्न कर रहे हैं। 2021 ग्लोबल मेयर्स चैलेंज चैम्पियन सिटीज में 631 शहर सम्मिलित हुए थे जिसमें से पुणे शीर्ष 50 में स्थान पाने में सफल रहा।
अभिनंदन पुणेकरांचे !
जगभरातील विविध शहरांच्या महापौरांनी शहराच्या दीर्घकालीन हिताचे निर्णय तसेच अभिनव कल्पना जाणून घेण्याच्या हेतूने ‘ब्लूम्बर्ग फिलाँथ्रॉपीज’ या संस्थेकडून ‘२०२१ ग्लोबल मेयर चॅलेंज’ स्पर्धा आयोजित करण्यात आली होती. ज्यात आपणही आपला सहभाग नोंदवला होता. pic.twitter.com/YarexihgPL
— BJP Pune Municipal Corporation (@BJP4PMCPune) June 19, 2021
परंतु, भाजपा के लिए पुणे में चुनौतियां कम नहीं हैं। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार उर्फ दादा सप्ताह के कम से कम दो दिन पुणे को दे रहे हैं। वे कोविड 19 से प्रभावित शहर की सेवा का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। कहते हैं दादा पुणे के पुलिस थानों की छत से लेकर नेताओं के जमीन तक की जानकारी रख रहे हैं।
पुण्यात शिवाजीनगर येथील पोलीस मुख्यालयातील नुतनीकरण केलेल्या इमारतीचा उद्घाटन समारंभ आज पार पडला. त्यानंतर इमारतीच्या बांधकामाची पाहणी केली. pic.twitter.com/obAP3B1RtL
— Ajit Pawar (@AjitPawarSpeaks) June 11, 2021
दादा की कार्यप्रणाली पुणे के गढ़ को वापस पाने की है। उन्हें तो सिर्फ घड़ी का इंतजार है, वहीं दूसरी ओर भाजपा सांसद भी शांत पड़े चैन की बंसी बजा रहे हैं। राजनीति से जुड़े लोग कहते हैं कि गिरिष बापट जैसे वरिष्ठ नेता का जनता में कम दिखना अच्छा शगुन नहीं है। ऐसी स्थिति में महापौर मुरलीधर मोहोल द्वारा अकेले गढ़ को संभालना भाजपा के लिए ही भारी पड़ सकता है। इसलिए भाजपा को बचाना होगी कि उसकी बिगड़ी छत्री दूसरे के हाथ न जाए।
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