अब तो मान लो वो ‘नरसंहार’ था! चम्पनारी की बरसी पर उठा हिंदुओं का दर्द

जम्मू कश्मीर में 1989 में जिहाद के लिए जमात ए इस्लामी का गठन किया गया। जिसने कश्मीर में इस्लामी ड्रेस कोड लागू कर दिया और इसी के बाद हिंदुओं को घाटी से भगाने के लिए हत्याकाण्ड किये गए। इसी क्रम में जम्मू के चम्पनारी की घटना भी थी।

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चम्पनारी नरसंहार की बरसी पर हिंदुओं का दर्द फिर जीवित हो गया। जम्मू कश्मीर के हिंदू आज भी संघर्ष कर रहे हैं अपने अधिकार और न्याय के लिए। 90 के दशक में जिस प्रकार से जम्मू कश्मीर के हिंदुओं का संहार हुआ उसे अब भी वह मान्यता नहीं मिली है जिसकी मांग वहां का अल्पसंख्यक हिंदू करता आया है। उसकी झोली अब भी खाली है, कश्मीर के ‘पंडिता’ आज भी दिनदहाड़े गोलियों से भूने जा रहे हैं। ऐसे में शांति प्रिय जम्मू का हिंदू अपने लिए एक स्वतंत्र राज्य की मांग कर रहा है।

अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर भू-भाग के रूप में बदल गया है। अब उस भूभाग में दो केंद्र शांसित प्रदेश बन गए हैं। लेकिन हत्या, बलात्कार और इस्लामी आतंक का शिकार हुआ हिंदू आज भी निश्चिंत नहीं है। कश्मीर में हिंदू पंडितों के साथ जो ज्यादतियां हुईं, जिस बर्बर तरीके से मारा गया उसे नरसंहार दर्जा देने को सरकार आज भी तैयार नहीं है।

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जम्मू का हिंदू आज भी अपने प्रति छलावा ही महसूस करता रहा है। वहां के लोग मानते हैं कि उनके हिस्से में जो दोयम दर्जे का व्यवहार था वह अनुच्छेद 370 और 35ए की समाप्ति के बाद भी नहीं बदला। वहीं जम्मू के डोडा जिले के चम्पनारी घटना की बरसी ने एक बार फिर इस क्षेत्र के लोगों के दर्द ताजा कर दिया है। इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इक्कजुट्ट जम्मू के अध्यक्ष अंकुर शर्मा कहते हैं,

19 जून, 1998 को जम्मू के डोडा जिले के चम्पनारी में 25 लोग मार दिये गए क्योंकि वे हिंदू थे। यह उन हजारो सामूहिक हत्याकाण्ड और नरसंहारों में से एक था, लेकिन सरकार अब भी आधिकारिक रूप से इसे हिंदू नरसंहार नहीं मान रही है। इसका कारण है कि इस्लामी नाराज हो जाएंगे।

जम्मू के गुस्से का कारण
अंकुर शर्मा जैसे जम्मू के हिंदुओं की बड़ी जनसंख्या अब भी सरकार से संतुष्ट नहीं है। उनका मानना है कि मात्र राज बदला है लेकिन शासनाधीशों के नीचे कश्मीर परस्ती अब भी भलीभांति चल रही है। जिसके कारण जम्मू के हितों की रक्षा करने के लिए स्वतंत्र्य राज्य का दर्जा देना ही एकमात्र उद्देश्य है।

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