जिसे विश्व ने अपनाया, वो इस कांग्रेसी को नहीं भाया… जानें राजनीति का अनुलोम विलोम

विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। कोविड 19 प्रोटोकॉल के अंतर्गत रहकर विश्व ने योग से निरोग रहने का दम भरा लेकिन भारत में योग के राजनीतिक उपभोग के प्रयत्न से वातावरण तप गया।

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योग पर भी कांग्रेस को दिक्कत हो रही है। भारत की संस्कृति और संस्कार में रचे बसे योग पर कांग्रेस के नेता ने हल्ला-गुल्ला शुरू कर दिया। जब विश्व योगासनों से अच्छे स्वास्थ्य की विशेषताओं को समझ रहा था तब कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ‘ऊँ’ और ‘अल्लाह’ के नाम पर राजनीतिक अनुलोम विलोम खेल रहे थे।

योग विश्व की सबसे उन्नत और पुरानी पद्धति है जो स्वांस और शरीर के समन्वय से उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी देता है। भारत की पहल को स्वीकार कर प्रारंभ हुआ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का यह सातवां कार्यक्रम था। जो ‘एम योग’ नामक ऐप की शक्ति से लैस हो जाएगी। इस ऐप के माध्यम से विश्व के अनेक भाषाओं में योग प्रशिक्षण दिया जाएगा। परंतु, भारत की जिस प्राचीन पद्धति को अपनाकर विश्व मन, मस्तिष्क और शरीर का अनुलोम विलोम सीख रहा है उस देश का विपक्षी दल इस पर धार्मिक रंग देने की बांक दे रहा है।

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योग पर राजनीतिक प्रयोग
योग के माध्यम से बड़ा राजनीतिक प्रयोग तो नहीं चल रहा है? यह सवाल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सर्वमान्यता के बाद विपक्षी पार्टियों को सताने लगा था। संयुक्त राष्ट्र में योग दिवस मनाने के भारत के प्रस्ताव को 177 देशों का समर्थन मिला और 90 दिन में इसे बहुमत का साथ पारित कर दिया गया। यह भारत के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में बड़ी जीत थी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वमान्यता की स्वीकार्यता भी मानी जाती है।

इस राजनीतिक लाभ से प्रफुल्लित भाजपा जब 21 जून को योगासनों से सांस भर ही थी तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने ऊँ और अल्लाह का राग अलापना शुरू कर दिया।

अभिषेक मनु सिंघवी ने लिखा है कि, ऊँ के उच्चारण से ना तो योग ज्यादा शख्तिशाली हो जाएगा और ना ही अल्लाह कहने से योग की शक्ति कम होगी।

अभिषेक यहीं नहीं थमे उन्होंने श्री राम मंदिर निर्माण में चंदे का विषय उठाया।
इसमें रही सही कसर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूरी कर दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ये योग दिवस है न कि योग दिवस के बहाने छुपने का दिन।

इसके बाद के ट्वीट में राहुल गांधी लिखते हैं कि, जीवन की क़ीमत लगाना असंभव है। सरकारी मुआवजा सिर्फ एक छोटी सी सहायता होती है लेकिन मोदी सरकार ये भी करने को तैयार नहीं। कोविड महामारी में पहले इलाज की कमी, फिर झूठे आँकड़े और ऊपर से सरकार की क्रूरता!

परंतु, कांग्रेस शासित राज्यों में कोविड 19 संक्रमितों की मौत पर आर्थिक सहायता क्यों नहीं की गई इस पर कांग्रेस की ओर से कोई उत्तर नहीं आया है।

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